किसानों को मिलेट खेती से जोड़ने का प्रयास : नाबार्ड के सहयोग से दिया गया प्रशिक्षण
घरघोड़ा से गौरीशंकर गुप्ता की रिपोर्ट
घरघोड़ा। मिलेट की उपयोगिता को भारत ही नहीं अपितु दुनिया ने सराहा है, वहां हमारा छत्तीसगढ़ कैसे छुट सकता है, जहां आज लोग मिलेट के उत्पाद और उसके औषधीय गुणों से परिचित होकर उसका उपयोग कर रहे हैं। मिलेट को भारत सरकार ने श्री अन्न के नाम से नई पहचान दिलाई है। वहीं नाबार्ड द्वारा मिलेट की खेती में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में संचालित लाख एवं मिलेट परियोजना एक पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है । नाबार्ड के सहयोग से घरघोडा विकासखण्ड के नवाडीह में किसानों को मिलेट खेती उसके प्रबंधन व देख रेख का स्पेशल ट्रेनिंग दिया गया,जहां परियोजना समन्वयक कृपाल सिंह सिदार के द्वारा किसानों को बताया गया कि वर्तमान में मिलेट खेती से किसान अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं एवं सरल सहजता से स्थानीय बाजार में उचित मूल्य पर बेंच सकते हैं, एवं लाख परियोजना क्षेत्र में निर्मित FPO कृषि प्रभा के माध्यम से बिक्री कर सकते हैं। आगे सिदार जी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रशिक्षण में शामिल सभी किसानों को मिलेट खेती के साथ लाख खेती को अजिविका के संसाधन के रूप में जोड़ने का निवेदन किया गया।
प्रशिक्षण में शामिल रहे जोहार कृषि केंद्र के मालिक बेडूधर पटेल
बेडूधर पटेल ने किसानों के साथ अपनी जानकारी को साझा करते हुए सभी किसानों को समय पर पानी दवा छिड़काव, एवं उसके देख रेख की बात करते हुए कहा कि हमारी खेती समय पर निर्भर है जहां हमें समय का सद उपयोग करना है। पटेल ने अपने कहावत सौ कास जोत,तो एक कास बतर मुल को समझाते हुए नाबार्ड के अन्य प्रमुख परियोजना से अवगत कराया, जिसके बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल सभी किसानों को संबोधित करते हुए संतोष कुमार बिशी ने लाख खेती और मिलेट खेती को अजिविक के मुख्य श्रोत से जोड़ने का निवेदन कर प्रशिक्षण के सभी विषयों पर चर्चा करते हुए अपनी बात रखी वहीं प्रशिक्षण में पहुंचे हमारे संवाददाता ने जब प्रशिक्षण के विषय वा परियोजना के सही संचालन के संबंध में टेलीफोन के माध्यम से नाबार्ड के जिला अधिकारी मिलियोर बडा से बात किया तो उन्होंने बताया कि रायगढ़ जिले में संचालित लाख एवं मिलेट परियोजना संचालित है जिसमें क्षेत्र के 500 लाभार्थी किसानों को लाभ मिल रहा है जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
श्री बड़ा ने हमारे संवाददाता को बताया कि जनमित्रम् कल्याण समिति रायगढ़ द्वारा किसानों के हित में किसान उत्पाद संगठन बनाया गया है जो कृषि प्रभा ऐगोविज के नाम से है और किसानों द्वारा उत्पादित कोदो कुटकी रागी को आकार देकर रागी आटा, कोदो चावल, कुटकी चावल जो श्री अन्न के नाम से बजार में उपलब्ध है वहीं नाबार्ड अधिकारी श्री मिलियोर बडा ने बताया कि श्री अन्न को fssi का मान्यता प्राप्त है जो पुरी तरह से सुरक्षित है वहीं प्रशिक्षण में उपस्थित परियोजना सहयोगी संतोष कुमार बिशी ने बताया कि हमारे श्री अन्न की मांग क्षेत्र ही नहीं अपितु पुरे छत्तीसगढ़ में मांग है।
श्री विशी ने बताया कि आज हमारे श्री अन्न की मांग कोरबा, अंबिकापुर, रायपुर, बनारस के साथ क्षेत्र में स्थिपित कप्तानी के अधिकारीयों की मुख्य मांग है जिसका कारण आर्गेनिक खेती एवं बाजार में कम मुल्य है, जिसका लाभ परियोजना क्षेत्र के किसानों के साथ अन्य किसान भी ले सकते हैं वहीं लाख संगवारी उमेन सिंह राठिया ने प्रशिक्षण के दौरान किसानों को गांव के श्री नंदलाल मांझी के कोदो खेती का भ्रमण कर खेती हेतु प्रेरित किया जिसके बाद बिंझवार राठिया द्वारा उपस्थित सभी किसानों को धन्यवाद ज्ञापन कर प्रशिक्षण समापन की घोषणा की तथा नाबार्ड एवं जन मित्रम कल्याण समिति को धन्यवाद देते हुए आगामी दिनों में किसानो हेतु उपयुक्त प्रशिक्षण की प्रबंध करने का निवेदन किया।