सीमित आवश्यकताएं ही सुखी जीवन की कुंजी हैं : साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

सीमित आवश्यकताएं ही सुखी जीवन की कुंजी हैं : साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

*आत्मोत्थान चातुर्मास 2025*

*27 दिवसीय दादागुरुदेव इकतीसा की दादाबाड़ी में धूम, 9 अगस्त को समापन*

रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत सोमवार को आयोजित प्रवचन में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति श्रीजी म.सा. ने जीवन के मूल्यों और आत्मिक उन्नति पर आधारित प्रेरणादायक विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर ले, तो जीवन में सहजता, सौम्यता और संतुलन बना रहता है।

साध्वी जी ने एक मार्मिक प्रसंग सुनाया जिसमें एक संत अपने 50 शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति गाय को रस्सी से बांधकर ले जा रहा है। संत ने शिष्यों से पूछा, "मालिक कौन है – वह व्यक्ति या गाय?" फिर कहा गया कि यदि रस्सी खोल दी जाए तो गाय भाग जाएगी, और वह व्यक्ति उसके पीछे दौड़ेगा। इसका अर्थ है कि हम जिन चीजों को अपना मानते हैं, वास्तव में हम ही उनके गुलाम बन जाते हैं।

साध्वी ने बताया कि जैसे-जैसे हमारी आवश्यकताएं बढ़ती हैं, वैसे-वैसे हम अपने ही बनाए हुए बंधनों में जकड़ते जाते हैं। “जितने पदार्थ होंगे, उतने गुलाम होंगे,” यह वाक्य उन्होंने दोहराकर समझाया कि भौतिक वस्तुएं हमारे मन और समय पर अधिकार कर लेती हैं।

उन्होंने कहा कि जब पति दो दिनों के लिए बाहर जाता है, तो कोई चिंता नहीं करता, लेकिन यदि नौकर दो दिन के लिए जाए, तो तुरंत पूछा जाता है कि "कब आओगे?" यहाँ तक कि कई बार तो उसे वापस लाने भी जाना पड़ता है। यह उदाहरण यह दिखाता है कि हम स्वयं भी गुलामी की मानसिकता में जी रहे हैं, भले ही हमें इसका अहसास न हो।

प्रवचन में उन्होंने एक रोचक कथा सुनाई जिसमें एक शाह ने हाथी की सवारी करने की इच्छा जताई। उसे बताया गया कि हाथी पर बैठने के लिए सूंड का सहारा लेना होगा और हाथी को नियंत्रित करने के लिए लगाम नहीं, बल्कि "अंगूस" होता है जो केवल महावत के पास होता है। यह जानकर शाह, हाथी से उतर गया। इससे यह सीख मिलती है कि हर स्थिति पर हमारा नियंत्रण नहीं हो सकता और विनम्रता सबसे बड़ी बुद्धिमानी है। साध्वी जी ने बताया कि क्रोध दूसरों का दोष नहीं, बल्कि हमारे अंदर अपेक्षाओं और संस्कारों की कमी का परिणाम है। उन्होंने श्रोताओं से आग्रह किया कि दूसरों से अपेक्षा करना छोड़ें और अपने व्यवहार में सौम्यता तथा क्षमाशीलता लाएं।

*9 अगस्त तक चलेगा 27 दिवसीय दादा गुरुदेव इकतीसा जाप*

धर्मनगरी रायपुर स्थित श्री जिनकुशल सूरी जैन दादाबाड़ी तीर्थ में आत्मोत्थान वर्षावास 2025 के अंतर्गत 27 दिवसीय दादा गुरुदेव इकतीसा जाप का आयोजन 14 जुलाई से 9 अगस्त तक किया जा रहा है। यह जाप प्रतिदिन रात 8.30 से 10.30 बजे तक श्री जिनकुशल सूरी जैन दादाबाड़ी, एम.जी. रोड, रायपुर में आयोजित हो रहा है।

प्रतिदिन चांदी के चरण कमल ड्रा का आयोजन किया जा रहा है, वहीं विशेष अवसरों – सोमवार, अमावस्या एवं पूर्णिमा – पर बंपर ड्रा भी रखा गया है।

यह धार्मिक आयोजन ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं आत्मोत्थान चातुर्मास समिति, रायपुर के सान्निध्य में तथा अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद, रायपुर के संयोजन में सम्पन्न हो रहा है।

श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली, आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।