भक्ति ज्ञान और वैराग्य की जननी है : इंदुभवानंद तीर्थ महाराज

रायपुर। श्री शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में चातुर्मास प्रवचनमाला के क्रम को गति देते हुए शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इंदुभवानंद तीर्थ महाराज ने शिव पुराण की कथा के प्रसंग में बताया कि भक्ति ज्ञान और वैराग्य की जननी है, बिना भक्ति के व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है, और बिना भक्ति के बैराग्य भी प्राप्त नहीं हो सकता है। भजनीय भगवान के प्रति जब श्रद्धा उत्पन्न होती है तभी भजनीय भगवान के अनुग्रह से साधक को ज्ञान और वैराग्य दोनों प्राप्त हो जाते हैं।
भगवान को प्राप्त करने का सरल सुगम मार्ग भक्ति ही है, वैसे भगवान को प्राप्त करने के लिए ज्ञान भक्ति एवं कर्म है, किंतु ज्ञान का मार्ग कठिन एवं दुरुह है। कर्म में कर्तापन का अभिमान बना रहता है किंतु यदि भक्ति का सहारा लिया जाए तो भक्ति से प्राणी को भगवत्साक्षात्कार सहज में ही हो जाता है।
भक्ति के द्वारा भगवत्साक्षात्कार करने के 9 मार्ग प्रसिद्ध हैं जिन्हें नवधा भक्ति के नाम से जाना जाता है सती जी के विशेष आग्रह पर भगवान उन्हें नवधा भक्ति का उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि जो भी भक्त इन नव मार्गो में से कोई भी एक मार्ग का भक्त सहारा ले लेता है तो उसका कल्याण हो जाता है। मैं तो वास्तव में भक्तों का दास हूं भगत मेरे स्वामी है। प्राणी जिस भाव से मेरी उपासना करता है मैं उसे उसी भाव से मैं प्राप्त हो जाता हूं।
कथा का पूर्व यजमान पुहुक राम साहू मनोरमा साहू नरेश साहू युवराज साहू देवेंद्र साहू आदि सब ने मिलकर के भगवान शिव का पूजन करके आरती की जगद्गुरु कुलम् के छात्रों ने वैदिक एवं पौराणिक मंगलाचरण किया।