प्रदूषण मुक्त और हरित छत्तीसगढ़ : विशेषज्ञों के विचार और योजनाएं

प्रदूषण मुक्त और हरित छत्तीसगढ़ : विशेषज्ञों के विचार और योजनाएं

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित पर्यावरण संस्था "प्रकृति की ओर" सोसाइटी द्वारा वृंदावन हॉल, रायपुर में “प्रकृति के संग हरित छत्तीसगढ़ – नीति, प्रकृति और परिवर्तन” विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में हरियाली, सतत विकास और प्रदूषण नियंत्रण के लिए नीति निर्माण और जन सहभागिता को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम का स्वागत भाषण मोहन वर्ल्यानी (अध्यक्ष, प्रकृति की ओर) द्वारा किया गया। संचालन प्रसिद्ध उद्यान विशेषज्ञ व कार्यक्रम संयोजक डॉ. अनिल सिंह चौहान ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन निर्भय धाडीवाल (सचिव) द्वारा प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि महापौर श्रीमती मीनल चौबे ने कहा कि रायपुर को हरियाली से भरपूर बनाने के लिए महिलाओं की भागीदारी को सशक्त किया जाएगा। उन्होंने सभी महिलाओं को एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल करने का संकल्प भी दिलाया तथा कहा कि शहर की हरियाली बढ़ाने में सभी वर्गों को जोड़ा जायेगा

मुख्य वक्ताओं के विचार:
डॉ. जितेन्द्र सिंह (महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय):
“आज हम शहरों में केवल सजावटी और विदेशी पौधों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि देसी प्रजातियों के वृक्ष, जो पर्यावरण के अनुरूप होते हैं, अधिक उपयोगी हैं। देसी पौधों का रोपण ही शहर की सही दिशा और दशा तय करेगा।”

विवेकानंद झा (संरक्षक वन):
“छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं में शहरी वनीकरण की हिस्सेदारी अभी भी सीमित है, जबकि यह समय की आवश्यकता है। रायपुर, भिलाई, बिलासपुर जैसे तेजी से बढ़ते शहरों में हरित आच्छादन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

अमर सावंत (प्रदूषण नियंत्रण मंडल):
उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की शहरी प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों, उद्योगों पर निगरानी व्यवस्था, और शासन की पर्यावरणीय योजनाओं पर प्रकाश डाला।

संतोष जैन (चेंबर ऑफ कॉमर्स):
“व्यापारिक प्रतिष्ठानों को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के अंतर्गत एनवायरनमेंटल ऑडिट, जल प्रबंधन, और वृक्षारोपण को नियमित कार्यों का हिस्सा बनाना चाहिए।”

शंकर बजाज (भनपुरी-सिलतरा उद्योग महासंघ):
“हमारा प्रयास है कि 30% से अधिक हरित क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्रों में विकसित हो, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।”

डॉ. देवाशीष सान्याल (एन आई टी रायपुर):
“जलभराव की समस्या के समाधान के लिए बायोफिलिक डिज़ाइन, परंपरागत जल निकासी, और ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरी है। एनआईटी रायपुर इसके लिए नगर निगम को तकनीकी सहयोग देगा।”

आनंद सिंघानिया (उपाध्यक्ष, नैशनल केड्राई):
“शहरी खाली भूमि की पहचान कर हरित पॉकेट बनाए जाएं और सामाजिक वनीकरण को तेजी से लागू किया जाए तथा छत्तीसगढ़ क्रेडाई की तरफ से शहर के तालाबों के विकास में सहयोग की बात की।

विशेष सहभागिता एवं मंच गतिविधियाँ:
कार्यक्रम की सफलता में मंच संचालन एवं प्रस्तुति से जुड़े शाइनिंग श्वेता, हरदीप कौर, सरवत सेठी और शिल्पी नागपुरे का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति और सजगता से आयोजन को ऊर्जावान बनाया।

प्रबुद्ध जनों की गरिमामयी उपस्थिति:
इस अवसर पर प्रकृति की ओर सोसाइटी से दलजीत बग्गा, डी.के. तिवारी, आर.के. जैन, सुरेश बानी, छतर सिंह सलूजा, लक्ष्मी यादव, रश्मि परमार, राम खटवानी, सी एल महावर, लक्ष्य टारगेट, मनीषा त्रिवेदी सहित शहर के अनेक बुद्धिजीवी, पर्यावरण प्रेमी एवं प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे, जिनकी उपस्थिति ने संगोष्ठी को सार्थक और प्रभावशाली बनाया।

मोहन वर्ल्यानी जी ने बताया कि संगोष्ठी का मुख्य निष्कर्ष एवं प्रस्ताव :
रायपुर में और अधिक ऑक्सीजन ज़ोन विकसित करने की दिशा में ठोस योजनाएँ बनेंगी। देसी प्रजातियों के पौधों के रोपण को प्राथमिकता दी जाएगी।
महिलाओं को वृक्षारोपण अभियान से जोड़कर सामाजिक जागरूकता को बढ़ाया जाएगा। नगर निगम, वन विभाग, उद्योग जगत एवं शैक्षणिक संस्थानों के संयुक्त प्रयास से रायपुर को हरित राजधानी बनाने की दिशा में ठोस कार्य होंगे।

सतत विकास हेतु जनजागरूकता व नीति-निर्माण को सामुदायिक अभियान बनाया जाएगा।