पुराना कचरा साफ कर मन को कोरा कागज बनाने का अवसर है चातुर्मास : साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

पुराना कचरा साफ कर मन को कोरा कागज बनाने का अवसर है चातुर्मास : साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

रायपुर। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति श्रीजी म.सा. ने धर्मरत्न प्रकरण ग्रंथ का पठन कर रही हैं। इसी क्रम में बुधवार को उन्होंने कहा कि चातुर्मास का मतलब है- चार महीने की एक खास आध्यात्मिक यात्रा। साध्वीजी ने इसे बहुत सुंदर तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि जैसे कोई नया शॉपिंग मॉल शहर में खुलता है और लोग वहां सजावट, कपड़े या खाने-पीने की चीजें खरीदने दौड़ पड़ते हैं, वैसे ही चातुर्मास एक अनोखा आध्यात्मिक शॉपिंग मॉल है। फर्क बस इतना है कि यहां से आप ध्यान, साधना, भक्ति और आत्मशुद्धि जैसी चीजें ले सकते हैं। यह मॉल सिर्फ 4 महीने के लिए खुला है। अब यह आप पर है कि आप इस मौके का पूरा लाभ उठाकर इसे 4 महीने में सार्थक बना लें या इसे बस ऐसे ही गुजार दें।

उन्होंने कहा कि आज हम डॉक्टर, सीए, इंजीनियर, वकील या कलेक्टर बनने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन जब बात आत्मा के विकास की आती है, तो हम बहाने बनाने लगते हैं। हम कह देते हैं कि हमारे पास समय नहीं है। लेकिन यही तो बहाना है। अगर हम दुनिया के कामों के लिए समय निकाल सकते हैं, तो धर्म के लिए भी दिन का एक घंटा निकाल सकते हैं।

साध्वीजी ने बताया कि पहले समय की कमी होती थी- महिलाएं घंटों चूल्हा जलाने, सब्जी काटने और खाना बनाने में बिताती थीं। लेकिन आज गैस, कुकर, मिक्सर, वाशिंग मशीन जैसी सुविधाओं ने समय बचा दिया है। इसके बावजूद अगर हम कहें कि हमारे पास ध्यान या पूजा के लिए समय नहीं है, तो यह सिर्फ बहाना है।

आज तो हालत यह है कि जैसे ही सुबह आंखें खुलती हैं, हम सबसे पहले मोबाइल देखने लगते हैं। ईश्वर के दर्शन से पहले मोबाइल के दर्शन होते हैं। और यही आदत बच्चे भी सीख रहे हैं। मोबाइल आज समय बर्बाद करने का सबसे बड़ा जरिया बन गया है।

मन से गंदगी हटाइए, सोच को शुद्ध बनाइए

साध्वीजी ने समझाया कि हमारे मन में कई बार पुराने अपशब्द या बुरी बातें जमी रहती हैं। चाहे कोई 25 साल पहले कुछ बुरा बोल गया हो, हम आज भी उसे दिल में लिए बैठे हैं। लेकिन यही तो हमारे मन का कचरा है, जिसे अब निकालने की ज़रूरत है। जरूरी बातों को हम भूल जाते हैं, और फालतू बातों को याद रखते हैं- जैसे बाल्टी से साफ पानी फेंक देना और गंदा पानी बचा लेना।

अब चातुर्मास का समय है। यह समय है अपने भीतर झांकने का, अपनी कमियों को पहचानने और उन्हें सुधारने का। मन को एक कोरे कागज़ की तरह बनाना है, ताकि जब उस पर गुरु की वाणी की एक बूंद भी गिरे, तो वह हमारे जीवन को बदल दे।

चातुर्मास में बहुत कुछ फ्री में मिल रहा है- सद्भावना, शांति, भक्ति और आत्मज्ञान। बस ज़रूरत है इसे पहचानने, ग्रहण करने और अपनी ज़िंदगी में उतारने की।

श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली, आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।