अभिषेक से आत्म शुद्धि होती है : डॉ. स्वामी इंदुभवानंद तीर्थ महाराज

रायपुर। श्री शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में चातुर्मास प्रवचनमाला के अंतर्गत शिव पुराण की कथा का व्याख्यान करते हुए शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि भगवान शिव के अभिषेक करने से आत्म शुद्धि होती है। भगवान शंकर का अभिषेक विभिन्न कामनाओं से विभिन्न संकल्पों के साथ किया जाता है। साधक की जैसी कामना होती है,उसी कामना के अनुसार भगवान शिव का उसको अभिषेक करना चाहिए।
जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। बुखार की शांति के लिए जल की धारा से अभिषेक करना चाहिए। घृत की धारा से अभिषेक करने से वंश की वृद्धि होती है और प्रमेह रोग शुगर के विनाश के लिए दूध की धारा से अभिषेक किया जाता है। दूध पानी में चीनी मिलाकर के जब अभिषेक किया जाता है तो बुद्धि की जड़ता दूर हो जाती है और साधक को श्रेष्ठ बुद्धि की प्राप्ति होती है सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रु का विनाश होता है और मधु के द्वारा अभिषेक करने से टीबी तपेदिक रोग से निवृत्ति होती है तथा पाप समाप्त होता है। गाय के दूध से लक्ष्मी भी प्राप्त होती है। गन्ने के रस से पुत्र की प्राप्ति होती है।
सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करना चाहिए। भगवान शिव को गुड़ समर्पित करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। नैवेद्य अर्पित करने से आयु बढ़ती है और अन्न का दोष निकलता है। अन्न में दो प्रकार के दोष होते हैं आमय (रोग) और अतृप्ति दोनों दोष की निवृत्ति के लिए भगवान को भोग लगाना चाहिए। धूप निवेदन करने से धन की वृद्धि होती है। दीप दिखाने से ज्ञान का उदय होता है। तांबूल पान चढ़ाने से सांसारिक भोगों की उपलब्धि होती है इसलिए भगवान शिव का चित्र पूर्वक पूजन करना चाहिए। जब और नमस्कार करने से सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। कथा के पूर्व सभी भक्तों ने भगवान शिव का पार्थिव पूजन संपन्न किया। तत्पश्चात् मंगलाचरण पूर्वक आरती संपन्न हुई और पूज्य महाराज स्वामी जी का प्रवचन प्रारंभ हुआ।