तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई ने किया था शिलान्यास
जगदलपुर (चैनल इंडिया)। बस्तर वासियों के लिए खुशी की बात है कि बोधघाट परियोजना को शुरू करने के लिए फिर से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के अनुरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना को शुरू करने पर सहमति जताई है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई ने इस परियोजना का भूमिपूजन किया था। परियोजना के शुरू होने से बस्तर संबघा के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांवों की तकदीर बदल जाएगी।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में 2020 के दरम्यान इसे लेकर कवायद की गई थी, लेकिन इसे लेकर विरोध के स्वर उठने पर सरकार ने अपने कदम पीछे कर लिए। बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किमी. एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 किमी. दूरी पर इन्द्रावती नदी पर प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री विष्णदेव साय ने चर्चा में यह कहा है कि इस परियोजना से बस्तर में सिंचाई की समस्या को दूर करने और चहुमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना और इंद्रावती-महानदी लिंक परियोजना पर काम कर रही है। सबसे अहम बात यह है कि इस परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के 269 गांवों को बड़ा लाभ होगा। जबकि इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले के अनेकों गांवों में सिंचाई सुविधा का विस्तार हो सकेगा। बस्तर संभाग को विकसित, आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की दिशा में दोनों परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उम्मीद है 2047 तक सब कुछ हो जाए।
मोरारजी की योजना पर पीएम मोदी की दिलचस्पी
मोरारजी भाई देसाई ने इस परियोजना का शिलान्यांस किया था, वे देश के चौथे प्रधानमंत्री थे। अच्छी बात तो यह है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के प्रति दिलचस्पी दिखाई है। बोधघाट परियोजना के अवशेष आज भी वहां देखने को मिल जाते हैं जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई कार्यकाल में शुरू हुई थी। और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में यह बात उनके जहन में डाली जा रही है ताकि इस परियोजना पर विचार हो सके। मोरारजी भाई देसाई सरकार में यह परियोजना 475 करोड़ रूपये की लागत की थी और इस परियोजना में 124 मेगावाट की चार बिजली यूनिट बनाने का सरकार का इरादा था। यहां 90 मीटर का ऊंचा बांध भी बनने जा रहा था, जो आज सात धार के नाम से मशहूर है।