बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी पर मंडराया जल संकट, किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

जगदलपुर (चैनल इंडिया)। बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी का जलस्तर लगातार कम होता जा रहा है। फरवरी से ही इंद्रावती नदी में जल संकट मंडराने लगा है, जिसका असर देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात पर भी दिखाई दे रहा है। चित्रकोट वाटरफॉल की धारा धीरे-धीरे कम होती जा रही है वहीं, खेती करने वाले किसानों की चिंता भी बढ़ गई है।
इंद्रावती नदी का जलस्तर कम होने को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है, जिसके चलते बस्तर वासियों के लिए पेयजल संकट मंडराने लगा है। सूखती इंद्रावती नदी को लेकर बस्तर के किसानों को भी चिंता सताने लगी है इसलिए जिले भर के अलग-अलग पंचायत से सैकड़ों किसानों ने जगदलपुर कलेक्ट्रेट पहुंच कर बस्तर कलेक्टर से सात सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है और जल्द से जल्द इसके निराकरण की मांग की है। किसानों का कहना है कि अगर उनकी सात सूत्रीय मांगे पूरी नहीं होती है तो मजबूरन किसानों को आंदोलन करना पड़ेगा।
किसानों की मांगों में मुख्य रूप से जोरानाला एनीकट को तत्काल खोलना है। इसके साथ ही ओडिशा के खातीगुड़ा डेम, तेलांगीरी परियोजना और भस्केल बैराज से इंद्रावती नदी में पानी छोडऩे की मांग शामिल है। इसके अलावा इंद्रावती नदी के सभी एनिकट प्रभारियों को तत्काल रूप से हटाने और नए नियुक्ति करने, सूखे फसलों का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देने की मांग भी रखी गई है।
ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पानी का बंटवारा
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता वीएन पांडे का कहना है कि वर्तमान में इंद्रावती नदी में 27 फीसदी पानी है। कुछ साल पहले ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच इंद्रावती नदी में पानी के बंटवारे को लेकर अनुबंध हुआ। इसके तहत 50-50 प्रतिशत पानी का बंटवारा करने का निर्णय लिया गया था लेकिन वर्तमान में बस्तर की इंद्रावती नदी में केवल 27 फीसदी ही पानी है और 2.01 मीटर पानी बह रहा है। उन्होंने बताया कि मटनार और देउरगांव में बैराज बनाया जाना है, लेकिन अब तक इसके लिए बजट पास नहीं हो पाया है. इसलिए अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है।
इंद्रावती नदी को बचाने के सारे दावे फेल
सालभर पहले ही 11 मार्च को पूर्व केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री विश्वेस्वर टुडू ने बस्तर पहुंचकर जोरा नाला का दौरा किया। छत्तीसगढ़ सरकार और तत्कालीन ओडिशा सरकार के बीच आपसी समझौता कर समाधान निकालने की बात कही थी। साथ ही सूखती इंद्रावती नदी की हकीकत जानने बाकायदा एक एक्सपर्ट टीम का गठन करने की बात कही थी लेकिन वर्तमान में न ही दोनों सरकार के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक हो पाई और न ही एक्सपर्ट टीम का गठन हो पाया। लिहाजा, एक बार फिर से सूखती इंद्रावती नदी को बचाने के सारे प्रयास के दावे फेल साबित हुए।