हिंदी साहित्य में नई उपलब्धि: प्राचार्य डॉ. अलका यादव की संपादित पुस्तक "नदी संवाद" प्रकाशित

हिंदी साहित्य में नई उपलब्धि: प्राचार्य डॉ. अलका यादव की संपादित पुस्तक "नदी संवाद" प्रकाशित

नदियों के विविध आयामों पर आधारित शोध कृति को लेकर साहित्य जगत में उत्साह

जांजगीर-चांपा से राजेश राठौर की रिपोर्ट
जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के विष्णु कांति महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अलका यादव ने हिंदी साहित्य जगत में एक और नया अध्याय जोड़ते हुए "नदी संवाद" नामक पुस्तक का संपादन किया है। यह कृति देश और विदेश की नदियों पर लिखे गए शोध आलेखों का एक अनूठा संग्रह है, जिसमें नदियों के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक और पर्यावरणीय पहलुओं को बारीकी से प्रस्तुत किया गया है।

नदियों के विविध रूपों का विस्तृत अध्ययन
डॉ. अलका यादव ने बताया कि "नदी संवाद" केवल नदियों के भौगोलिक स्वरूप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नदियों के मानव सभ्यता, साहित्य, समाज, संस्कृति और पर्यावरण पर प्रभाव को भी गहराई से दर्शाती है। इस कृति में भारतीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नदियों के विभिन्न परिदृश्यों, परंपराओं और जीवनशैली पर आधारित शोध लेख संकलित किए गए हैं।

यह पुस्तक नदियों को केवल जलस्रोत के रूप में नहीं, बल्कि उनके आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर प्रस्तुत करती है। इसमें यह भी बताया गया है कि नदियाँ सिर्फ भौगोलिक संरचनाएँ नहीं हैं, बल्कि वे संस्कृति, परंपरा और मानवीय अस्तित्व से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

साहित्य जगत में खुशी का माहौल
इस कृति के प्रकाशन के बाद छत्तीसगढ़ सहित संपूर्ण हिंदी साहित्य जगत में हर्ष और उत्साह का माहौल है। साहित्यकारों और शोधार्थियों का मानना है कि यह पुस्तक नदियों के स्वरूप, उनकी पौराणिकता, लोककथाओं और जलसंरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शोध को नई दिशा प्रदान करेगी।

पुस्तक के प्रकाशन पर साहित्यिक समुदाय, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने डॉ. अलका यादव को बधाई दी है। यह कृति न केवल हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है, बल्कि यह पर्यावरणीय जागरूकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में भी एक प्रेरणादायक प्रयास है।