अयोध्या में धर्मध्वज फहराते हुए मोदी का संदेश: विश्व के करोड़ों रामभक्तों के लिए ऐतिहासिक क्षण
नई दिल्ली। भारत के धार्मिक–सांस्कृतिक भूगोल में एक यादगार क्षण उस समय आया, जब नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया और फिर सभा को संबोधित करते हुए “विश्व के करोड़ों राम-भक्तों को इस अविस्मरणीय क्षण की शुभकामनाएं” दीं। यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि वर्षों से चली आ रही सांस्कृतिक प्रतीक्षा और कानूनी विवाद के बाद आने वाली शांति एवं एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
इस समारोह से पहले अयोध्या में व्यापक तैयारी देखी गई। शहर को हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में तब्दील कर दिया गया था, जहाँ हजारों सुरक्षा कर्मियों, ड्रोन निगरानी और कठोर सड़क-नियंत्रण व्यवस्था की गई थी, यह धार्मिक आयोजन के साथ-साथ एक सुरक्षा-चुनौती भी माना गया था।

ध्वजारोहण समारोह में फैले तीन प्रमुख प्रतीकों ‘सूर्य’, ‘ॐ’ और ‘कोविदर वृक्ष’ ने अपने-अपने अर्थों के साथ उस पल को गहरा बना दिया: सूर्य धर्म-परंपरा तथा सूर्यवंश का प्रतिनिधि, ॐ सृष्टि-शून्य और आध्यात्मिक मूल, तथा कोविदर वृक्ष जीवन और विश्वास की जड़ों का प्रतीक।
प्रधानमंत्री के संबोधन में उन्होंने इसे सिर्फ मंदिर निर्माण की उपलब्धि नहीं बताया बल्कि ‘नया अध्याय’ कहा। उन्होंने कहा कि यह पल उन सभी के लिए प्रेरणा है जिन्होंने धैर्य रखा, जिनके विश्वास ने प्रतीक्षा की और जिन्होंने इस मुकाम के लिए कार्य किया। उन्होंने साथ ही कहा कि इस घटना से स्थानीय विकास एवं पर्यटन को भी नई गति मिलेगी, विशेष रूप से अयोध्या के लिए यह धार्मिक केंद्र से तेजी से विकास केंद्र बनने की दिशा में कदम है।
उपस्थित लोगों ने इस अवसर को सिर्फ श्रद्धालुओं का उत्सव नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और भविष्य-उन्मुख भारत का प्रतीक माना। इस प्रकार, ध्वजारोहण कार्यक्रम ने धार्मिक भावनाओं, सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक प्रतीकों को एक ही क्षण में संयोजित किया और उस सभा का संबोधन इन तीनों ध्रुवों को संबोधित करता हुआ दिखा।

admin 









