नक्सल कमांडर हिड़मा और पत्नी राजे का एक ही चिता पर हुआ अंतिम संस्कार,आसमान से लेकर जमीन तक सुरक्षा एजेंसियों ने रखी कड़ी निगरानी
सुकमा। छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर सुरक्षा बलों के साथ हुई एक भीषण मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनका अंतिम संस्कार सुकमा जिले में स्थित उनके पैतृक गांव पूवर्ती में पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर बनी रही।
अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। अंतिम संस्कार के दौरान पूवर्ती गांव का माहौल बेहद गमगीन हो गया। अपने बेटे का शव देखते ही हिड़मा की बुजुर्ग मां भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और शव से लिपटकर विलाप करने लगीं।
वहां मौजूद जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी भी इस दृश्य को देखकर भावुक हो गईं। वे भी हिड़मा के शव से लिपटकर फूट-फूटकर रोती हुई दिखाई दीं।
ग्रामीणों के मुताबिक दुनिया के लिए हिड़मा चाहे कितना भी बड़ा
नक्सली रहा हो, लेकिन गांव वालों के लिए वह गांव का बेटा ही था, यही वजह रही कि उसकी अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। हिड़मा की पत्नी राजे को लाल जोड़े (दुल्हन की तरह) में सजाकर पारंपरिक आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ विदाई दी गई।
गौरतलब है कि 18 नवंबर की सुबह छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षा बलों ने एक बड़े संयुक्त अभियान को अंजाम दिया था। इनमें इनामी नक्सली माडवी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे भी शामिल थे। यह वही सीमावर्ती इलाका है, जहां पिछले कई वर्षों से नक्सली अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे थे। पूवर्ती गांव, जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, वहां अंतिम संस्कार के
दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी। आसमान से लेकर जमीन तक कड़ी सुरक्षा थी। एजेंसियां हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थीं ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

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