सर्व हिन्दू समाज के सचिव एल. ईश्वर राव ने गीता जयंती पर सतनामी समाज को भेंट किया भगवद्गीता

सर्व हिन्दू समाज के सचिव एल. ईश्वर राव ने गीता जयंती पर सतनामी समाज को भेंट किया भगवद्गीता

जगदलपुर से कृष्णा झा की रिपोर्ट 
जगदलपुर। सर्व हिन्दू समाज के सचिव एल. ईश्वर राव ने गीता जयंती के पावन अवसर पर सतनामी समाज प्रमुखों से मिलकर भगवद्गीता भेंट किया। इस अवसर पर भगवद्गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एल. ईश्वर राव ने बताया कि गीता जयंती भगवद्गीता के उपदेश की स्मृति में मनाई जाती है, जो महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिए थे। गीता जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार आज 11 दिसंबर को गीता जयंती मोक्षदा एकादशी है। गीता जयंती का सीधा संबंध महाभारत युद्ध से है।जो  कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष था। जब अर्जुन ने युद्ध में अपने ही सगे-संबंधियों, गुरु द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म के खिलाफ युद्ध करने से इनकार कर दिया, तब वे मानसिक और भावनात्मक संकट में आ गए। अर्जुन के इस दुविधा से ग्रस्त होने पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें धर्म, कर्म और जीवन के गूढ़ रहस्यों का उपदेश दिया। 

एल. ईश्वर राव ने आगे बताया कि भगवद्गीता को "जीवन का सार" भी कहा जाता है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान पर गहन शिक्षा देते हैं। गीता के उपदेश सिर्फ अर्जुन के लिए नहीं थे, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाया कि व्यक्ति को निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। हिंदू धर्म में चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद है। इन चारों वेदों का सार गीता में मिलता है यही कारण है भगवतगीता को हिंदू धर्म का पवित्र और सर्वमान्य धर्मग्रंथ माना जाता है। यह ज्ञान आत्मा, परमात्मा और जीवन-मरण के चक्र को समझने में सहायक है। गीता में बताया गया है कि धर्म का पालन करते हुए जीवन जीना और अपने कर्मों का निर्वाह करना ही मोक्ष का मार्ग है।मानव जीवन उत्कर्ष निमित्त भगवद्गीता का नियमित अध्ययन व चिन्तन-मनन करना चाहिए। 

इस दौरान रवि ब्रह्मचारी विभाग मंत्री विहिप, सतनामी समाज अध्यक्ष संतु बाँधे, उपाध्यक्ष लाला लहरी, सचिव दिनेश बंजारे, सुनील दास अध्यक्ष उत्कल करण समाज, निर्मल यादव,मुकेश शर्मा, रवि शर्मा, बबला यादव आदि रहें हैं।