श्रीमद् भागवत कथा : सुदामा चरित्र का वर्णन को सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता
जांजगीर-चांपा से राजेश राठौर की रिपोर्ट
खोखरा। जांजगीर के निकट ग्राम खोखरा में तम्बोली परिवार के घर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को सुदामा चरित्र के वर्णन हुआ। कथाव्यास पंडित दिनेश रोहित चतुर्वेदी द्वारा सुनाए गए सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव-विभोर हो गए। कथाव्यास वाचक जी ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि, मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं । द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते है श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पांव पखारे। कृष्ण सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। उपआचार्य पंडित दुर्गेश महराज जी ने बताया की कथा सुनने प्रतिदिन श्रद्धालु बड़ी संख्या मे पहुंच रहे है l भागवत कथा का समापन रविवार कों तुलसी वर्षा, हवन, ब्राह्मण भोजन के साथ किया जायेगा l कथा में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे हुए थे l