फागुन मेला के तीसरे दिन हुआ ’’नाच मांडनी’’ का कार्यक्रम

दंतेवाड़ा से राजू शर्मा की रिपोर्ट
दंतेवाड़ा। फागुन मेला तीसरे दिन में नाच मांडनी रस्म का संपादन किया गया। इसमें डोली वापसी के बाद साड़ी से ढकी हुई चांवल एवं चंदन की लकड़ी को दो टोकरी में भण्डारी एवं तुड़पा (सेवादार) लेकर रात्रि 10 बजे मोहरी बाजा की थाप पर बारह लंकवार, पडि़हार, मांझी-चालकी एवं सेवादार मेंढ़का डोबरा मैदान के देव विश्राम मंदिर में जाते है। जहाँ मोहरी बाजा की थाप पर कलार एवं कुम्हार समाज सदस्यों द्वारा मंदिर की आंगन में नृत्य किया जाता है। जिसके बाद उक्त टोकरियों को लेकर मंदिर वापस पहुंचते हैं एवं मंदिर के आंगन में भी पुनः कलार एवं कुम्हार समाज के सदस्यों द्वारा नृत्य किया जाता है। अंत में टोकरी में रखे चावल को बाजा वादकों में वितरण कर आज का कार्यक्रम समापन किया जाता है। इसके साथ ही चौथे दिन लम्हामार कार्यक्रम आयोजित होगी।