आठ मंत्रियों के दफ्तर हुए हाईटेक

मार्च में ई-ऑफिस सिस्टम बनाने वाला देश के टॉप फाइव स्टेट में शामिल हो जाएगा छत्तीसगढ़
रायपुर (चैनल इंडिया)। पिछड़ा और आदिवासी राज्य कहा जाने वाले छत्तीसगढ़ अब आईटी सेक्टर में गजब का उड़ान भर रहा है। विष्णुदेव कैबिनेट के सात मंत्री अब डिजिटल फाइलिंग कर रहे हैं। हालांकि, इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मंत्रियों के पाती लिखनी पड़ी। अफसरों का कहना है कि अगले महीने मार्च तक लगभग सभी जिलों में ई-ऑफिस काम करने लगेगा।
ई-ऑफिस के काम में सबसे बड़ी बाधा मंत्रियों की तरफ से आ रही थी। वित्त और आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी छह महीने पहले से डिजिटल वर्क प्रारंभ कर दिए थे। मगर बाकी मंत्रियों के तरफ से अफसरों को रिस्पांस नहीं मिल रहा था। इस पर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से उन्हें पत्र लिखवाया। मंत्रियों को संबोधित पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा था कि 31 मार्च तक पूरे स्टेट में ई-आफिस वर्क करने लगेगा। मुख्यमंत्री की चिठ्ठी के बाद मंत्रियों ने ई-ऑफिस में दिलचस्पी दिखाई और इस समय दोनों उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, मंत्री ओपी चौधरी, केदार कश्यप, दयालदास बघेल, लखनलाल देवांगन, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा और लक्ष्मी राजवाड़े का आफिस डिजिटल वर्क करने लगा है। याने उनके आफिसों में डिजिटल फाइलें शुरू हो गई हैं। जिन मंत्रियों ने अभी डिजिटल वर्क नहीं शुरू किया है, उनमें मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल और रामविचार नेताम शामिल हैं। जीएडी के अफसरों का कहना है कि जल्द ही ये तीनों मंत्रियों के यहां भी ई-आफिस सिस्टम काम करने लगेगा।
मंत्री का स्टाफ नहीं चाह रहा
मंत्रियों के स्टाफ को ई-आफिस से ज्यादा परेशानी है। इसलिए सबसे अधिक उनकी तरफ से रोड़े अटकाएं जा रहे हैं। दरअसल, ई-आफिस के बाद फाइलों को दबाना मुश्किल हो जाएगा। अब कोई बाबू या मिनिस्टर का स्टॉफ ये नहीं कहेगा कि फाइल नहीं आई है। अभी सबसे अधिक फाइल गुमने का प्राब्लम था। जानबूझकर फाइलें दबा दी जाती थी। जिन पार्टियों से सौदा जम गया, उसकी फाइलें बढ़ा दी जाती थी और बाकी को कबाड़ में दफन कर दिया जाता था। इसके बाद ढूंढते रह जाइये, नोटशीट नहीं मिलेगी। मगर अब कंप्यूटर के एक कमांड पर फाइलें स्क्रीन पर आ जा रही। जाहिर है, मंत्रियों के स्टाफ को इससे परेशानी होगी ही। सीएम सचिवालय के प्रेशर पर विभागीय सचिवों ने फिर मंत्रियों के आफिसों को ई-आफिस सिस्टम से जुड़वा रहा है। हालांकि, मंत्रियों के स्टाफ ही नहीं ब्यूरोक्रेसी और बाबू सिस्टम भी नहीं चाह रहा कि सिस्टम ऑनलाइन हो। मगर सीएम सचिवालय के प्रेशर के बाद फिर अगर-मगर का कोई स्कोप बच नहीं गया है।