आंवले के पूजन से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है : इंदुभवानंद महाराज

आंवले के पूजन से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है : इंदुभवानंद महाराज

रायपुर। श्री शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में चल रहे चातुर्मास के क्रम में आज धात्री नवमी के पुनीत पर्व पर आंवले का पूजन समस्त गुरु भक्तों ने मिलकर संपन्न किया। सर्वप्रथम भगवान विष्णु का विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक किया गया तथा श्री सूक्त पुरुष सूक्त नारायण सूक्त से उनका पूजन किया गया। विभिन्न प्रकार के फलों से अर्चन किया गया। केला,आंवला, अमरूद, बेर आदि रितु फलों से पूजन संपन्न हुई। आंवले के वृक्ष को धागा से वेष्टित करके उसके मूल में जलाभिषेक किया गया। तत् पश्चात समस्त भक्तों ने भगवान नारायण की आरती का गायन किया और पुष्पांजलि की।

शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने  से अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है। आंवले के वृक्ष में जितने पत्ते होते हैं उतने ही अश्वमेध यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है। आंवला नवमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति को आंवले के फल को शरीर में लगाना चाहिए आंवले का फल का आहार करना चाहिए और आंवले के फल की माला भी धारण करने से उसको नारायण के स्वरूप की प्राप्ति हो जाती है। जो व्यक्ति आंवले के वृक्ष में लोगों को भोजन करवाता है उसको करोड़ यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए आंवले के वृक्ष के नीचे खुद भोजन भी करना चाहिए और अन्य लोगों को भी भोजन करवाना चाहिए।

शास्त्रों में यह भी वर्णन प्राप्त होता है कि आंवले के वृक्ष के नीचे पिता, दादा तथा  जिनकी संतान नहीं हुई है ऐसे पितरों  को जल तर्पण देने से उनको वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। अतः तर्पण श्राद्ध भी आंवले वृक्ष के नीचे करना चाहिए आज के पूजन में विशेष रूप से एमएल पांडे सपरिवार, आचार्य धर्मेंद्र महाराज,आचार्य कोमल महाराज,महेंद्र शास्त्री, रामकुमार महाराज, हनुमान तिवारी,अनिल दुबे,अलका जी, कविता जी,अमृता जी,राधे साहू, खिलावन साहू,भारत साहू, नंदकिशोर देवांगन,अशोक पांडे आदि गुरु भक्त सम्मिलित हुए। सभी लोगों ने आंवले वृक्ष के नीचे भंडारे का भोजन भी किया।