जनता जनार्दन ही चुनेगी मेयर-अध्यक्ष, वही हटाएगी भी,डायरेक्ट इलेक्शन के लिए सरकार ने जारी किया अध्यादेश
रायपुर (चैनल इंडिया)। प्रदेश में फिर एक बार शहर सरकार चुनने की पूरी जिम्मेदारी जनता के हाथों में आ गई है। नगर पालिकों में पार्षद से लेकर महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब सीधे जनता के वोट से होगा। राज्य में नगरीय निकाय चुनाव में बदलाव को लेकर राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी किया है। इमसें वार्डों के आरक्षण के साथ ही मेयर के चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है।
राज्य सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश के अनुसार मेयर का चुनाव लडऩे के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष और पार्षद का चुनाव लडऩे के लिए यह सीमा 21 वर्ष तय कर दी गई है। कोई भी व्यक्ति एक साथ मेयर और पार्षद का चुनाव लड़ सकता है, लेकिन दोनों चुनाव जीतने के सात दिन के भीतर एक पद छोडऩा होगा। महापौर का चुनाव जनता करेगी और उसे हटाने का अधिकार भी वोटरों को ही दिया गया है। हालांकि इसके लिए निर्वाचित पार्षदों को पहल करनी पड़ेगी। महापौर को कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाने की प्रक्रिया (अविश्वास प्रस्ताव) पदभार ग्रहण करने के दो वर्ष से पहले शुरू नहीं की जा सकती है। किसी भी महापौर को कार्यकाल से पहले पद से हटाने के लिए निर्वाचित पार्षदों को तीन चौथाई बहुमत से प्रस्ताव पास करना होगा। यह प्रस्ताव संभागीय आयुक्त को भेजा जाएगा। संभागीय आयुक्त संतुष्ट होंगे तो आगे की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसके तहत जनता महापौर को हटाने के लिए मतदान करेगी। यह मतदान गोपनीय होगा। वहीं, उप चुनाव के जरिये मेयर बनने वालों को खिलाफ तभी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, जबकि उन्होंने आधा कार्यकाल पूरा कर लिया हो। आचार संहिता 15-20 के बीच नगरीय निकायों के चुनाव के लिए 15 से 20 दिसंबर के बीच आचार संहिता लागू हो सकती है। निकाय चुनाव के लिए वोटर लिस्ट 11 दिसंबर तक फाइनल की जा सकती है। निकायों को लेकर जब 11 दिसंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। इसके तीन से चार दिन बाद यानी 15 से 20 दिसम्बर के बीच चुनावों के ऐलान के साथ आचार संहिता लागू कर दी जाएगी।