सद्कार और धर्म में रुचि ही करते हैं पुण्य का मार्ग प्रशस्त: साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

सद्कार और धर्म में रुचि ही करते हैं पुण्य का मार्ग प्रशस्त: साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी

दादाबाड़ी में 27 दिवसीय दादागुरुदेव इकतीसा का  समापन कल

रायपुर। आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत गुरुवार को दादाबाड़ी में आयोजित प्रवचन में परम पूज्य श्री हंसकीर्ति मुनि महाराज साहेब ने श्रद्धालुओं को जीवन में धन-संपत्ति के सदुपयोग और धर्म में रुचि के महत्व पर प्रेरक विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि साधु-संतों के सान्निध्य और धर्म कार्यों में धन लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

प्रवचन में पूज्य हंसकीर्ति म.सा. ने एक प्रेरक उदाहरण देते हुए कहा कि प्रसिद्ध उद्योगपति रॉकफेलर ने जीवन भर धन कमाया, लेकिन कभी दान नहीं किया। जब जीवन का अंतिम समय आया तो उन्होंने कुछ संस्थाओं को दान देने की इच्छा व्यक्त की। परंतु जब उनके सचिव ने उन संस्थाओं को धन सौंपना चाहा, तो किसी ने भी दान स्वीकार नहीं किया। संस्थाओं का तर्क था कि उन्होंने कभी धर्मकार्य या सत्कार नहीं किया, इसलिए उनकी संपत्ति स्वीकार करने से संस्थान अपवित्र हो सकते हैं। पूज्य श्री ने कहा, "सत्कार और धर्म में रुचि ही व्यक्ति के नाम को सम्मान और पुण्य दिलाते हैं। धन तो साधन है, उसका सदुपयोग जरूरी है।

एक अन्य प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि राजा कुमारपाल एक दिन पेड़ के नीचे बैठे थे। तभी एक चूहा सोने का सिक्का मुंह में दबाए बिल से बाहर आया और 21 बार ऐसा किया। लेकिन 22वीं बार उन्होंने जब सिक्का उठा लिया गया, तो चूहा दुख में वहीं मर गया, जबकि उसे उस सोने से कोई मोह नहीं था। कुमारपाल ने इस घटना से प्रेरणा लेकर एक जिनालय का निर्माण कराया और उसका नाम 'मुसक विहार' रखा।

प्रवचन में उन्होंने कहा कि इतिहास में जितने भी बड़े युद्ध हुए, वे संपत्ति के कारण हुए। लेकिन यह संपत्ति क्षणभंगुर होती है। इसका उपयोग धर्म, परोपकार और आत्मोत्थान के लिए होना चाहिए। उन्होंने एक और प्रेरक प्रसंग साझा करते हुए कहा कि एक व्यक्ति को कम बोली में जब मनचाही वस्तु मिल गई और लक्ष्य 5 लाख रुपये का होते हुए भी कार्य मात्र 2 लाख में पूर्ण हो गया, तो वह भावविभोर हो गया। इससे सीख मिलती है कि सच्चा उल्लास तब होता है जब हम उचित मार्ग पर चलें और धर्म को महत्व दें।

9 अगस्त को होगा 27 दिवसीय दादा गुरुदेव इकतीसा जाप का समापन

धर्मनगरी रायपुर स्थित श्री जिनकुशल सूरी जैन दादाबाड़ी तीर्थ में आत्मोत्थान वर्षावास 2025 के अंतर्गत 27 दिवसीय दादा गुरुदेव इकतीसा जाप का आयोजन 14 जुलाई से किया जा रहा है, जिसका समापन 9 अगस्त को होगा। यह जाप प्रतिदिन रात 8.30 से 10.30 बजे तक श्री जिनकुशल सूरी जैन दादाबाड़ी, एम.जी. रोड, रायपुर में आयोजित हो रहा है।

प्रतिदिन चांदी के चरण कमल ड्रा का आयोजन किया जा रहा है, वहीं अमावस्या और पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों बंपर ड्रा का आयोजन भी किया जा रहा है।

यह धार्मिक आयोजन ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं आत्मोत्थान चातुर्मास समिति, रायपुर के सान्निध्य में तथा अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद, रायपुर के संयोजन में सम्पन्न हो रहा है।

श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली, आत्मोत्थान चातुर्मास समिति 2025 के अध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे साध्वीजी का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।