अजय चंद्रकार की अपने ही मंत्री श्याम बिहारी से सदन में तीखी बहस

स्वास्थ्य विभाग में रीएजेंट खरीदी में करोड़ों का घोटाला
दो आईएएस समेत 15 अफसरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में जांच
सप्लायर को जेल भेजा गया
रायपुर (चैनल इंडिया)। स्वास्थ्य विभाग में रीएजेंट की खरीदी में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को लेकर आज सदन में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर और विभागीय मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के बीच तीखी बहस हुई। अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के हस्तक्षेप के बाद मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस खरीदी में विभागीय अधिकारी और सप्लायर्स की साठगांठ थी, जिसके बाद को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है तथा दो आईएएस अधिकारियों समेत 15 अफसरों के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में जांच की जा रही है।
विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर मंत्री जायसवाल ने स्वीकार किया कि 120 करोड़ रुपए का बजट होने के बाद भी सीजीएमएससी ने मोक्षित कॉरपोरेशन को 385 करोड़ की खरीदी का आदेश दिया। अजय चंद्राकर यह जानना चाह रहे थे कि ऐसा करने वाले अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई परंतु इसका जवाब देने के बजाय मंत्री लगातार यही कह रहे थे कि इस पूरे मामले की विभागीय जांच कराई गई, जिसमें यह पता चला कि सप्लायर व अधिकारियों ने यह मिल-जुलकर किया है, जिसके बाद 15 अफसरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में रिपोर्ट कराई गई। मंत्री जायसवाल ने यह भी बताया कि कांग्रेस शासनकाल में की गई खरीदी का भुगतान मोक्षित कॉरपोरेशन को किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मोक्षित कॉरपोरेशन ने अधिक रेट पर इस्तेमाल की गई मशीनों की आपूर्ति की है, जिसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर कर उसके संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि 2023-24 में मोक्षित कॉरपोरेशन को दिए गए 385 करोड़ के ऑर्डर में 47 करोड़ की भुगतान किया जा चुका है। बाकी की राशि रोक दी गई है।
मंत्री जायसवाल के जवाब से विधायक अजय चंद्राकर संतुष्ट नहीं हुए। वे बार-बार कह रहे थे कि वे सीधा सवाल पूछ रहे हैं, जिसका गोल-गोल जवाब दिया जा रहा है। भाजपा सरकार आने के बाद रीएजेंट का 329.04 करोड़ भुगतान किया जाना बाकी था। यह भुगतान तो कर दिए गए। नई खरीदी के कार्यादेश भी दे दिए गए। जिसमें भी 47 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। अजय चंद्राकर के तेवर देखकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हस्तक्षेप किया और उन्हें धैर्य बनाए रखने की नसीहत दी।