दशकों बाद बस्तर के गांवों में गूंजेगा लोकतंत्र का स्वर

दशकों बाद बस्तर के गांवों में गूंजेगा लोकतंत्र का स्वर

नक्सलवाद पर लोकतंत्र की ऐतिहासिक जीत

जनता ने चुना विकास का मार्ग: सीएम

रायपुर (चैनल इंडिया)। त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के प्रथम चरण (17 फरवरी) में लोकतंत्र ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बस्तर संभाग, जो दशकों तक नक्सलवाद के साए में रहा, अब लोकतंत्र के उजाले की ओर बढ़ रहा है। सुकमा और बीजापुर जिले के अनेक मतदान केंद्रों पर पहली बार अनेक दशकों के बाद ग्रामीण पंचायत चुनाव में मतदान कर रहे हैं। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर में जनता ने विकास का मार्ग चुना है और हिंसा को बाहर का रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन राज्य और केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति, सतत विकास कार्यों और सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था का परिणाम है। यह केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकतंत्र के प्रति बढ़ते विश्वास और भयमुक्त समाज की दिशा में बढ़ते कदमों का प्रमाण है।

कमांडर हिड़मा के गांव में भी मतदान का उत्साह
बस्तर में पंचायत चुनावों का नक्सलियों द्वारा कोई विरोध नहीं किया जाना क्षेत्र में 40 से अधिक नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना और सरकार द्वारा ग्रामीणों में विश्वास बहाल करने की रणनीति का परिणाम है। बस्तर में नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में भी इस बार ग्रामीण मतदान के लिए उत्साहित हैं। यह एक ऐतिहासिक बदलाव है और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत को दर्शाता है। छत्तीसगढ़ में मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, दंतेवाड़ा और गरियाबंद जिलों में भी मतदान को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। बीजापुर के पुसनार, गंगालूर, चेरपाल, रेड्डी, पालनार जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों ने निर्भीक होकर मतदान किया।

नक्सलवाद के अंत की ओर ऐतिहासिक कदम: सीएम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भाजपा सरकार बस्तर के नागरिकों को विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं से जोडऩे के लिए संकल्पित है। बस्तर में सडक़ें, पुल, स्कूल, अस्पताल और रोजगार परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे ग्रामीणों का शासन और लोकतंत्र पर विश्वास बढ़ा है।