राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर जिला इकाई ने मनाई लाला जगदलपुरी की जयंती

राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर जिला इकाई ने मनाई लाला जगदलपुरी की जयंती

परिचर्चा और कवि गोष्ठी का किया गया आयोजन

जगदलपुर से कृष्णा झा की रिपोर्ट 

जगदलपुर। बस्तर के मूर्धन्य साहित्यकार लाला जगदलपुरी की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कवि संगम बस्तर जिला इकाई के द्वारा 22 दिसम्बर की संध्या को लाला जगदलपुरी जिला ग्रंथालय भवन में परिचर्चा और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

इस अवसर पर लाला जगदलपुरी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र में परिचर्चा का विषय था- " लाला जगदलपुरी का साहित्यिक और सांस्कृतिक अवदान।" 

इस विषय पर प्रथम वक्ता के रूप में साहित्यकार अवध किशोर शर्मा ने कहा कि लाला जगदलपुरी से उनके जीवन में साहित्य के क्षेत्र में हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहा। इस तरह अनेक साहित्यकारों ने उनसे मार्गदर्शन लेकर अपनी लेखनी को सुधारा। लाला जगदलपुरी ने कई विषयों पर लेखन का कार्य किया। उन्होंने कहा था कि लेखन के लिए विचारशीलता अत्यंत आवश्यक है। लाला जगदलपुरी की रचनाओं को पढ़ कर आज के साहित्यकार सृजन हेतु प्रेरणा ले सकते हैं। दूसरे वक्ता के रूप में विक्रम सोनी ने कहा कि बस्तर वनांचल में लाला जगदलपुरी जैसे मूर्धन्य साहित्यकार का जन्म लेना हम सभी के लिए गौरव की बात है।

लाला जगदलपुरी किसी एक विधा तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने बस्तर के जनजीवन में जो देखा, जैसा देखा उसे अपने साहित्य का विषय बनाया। तत्कालीन समय में प्रकाशन का अभाव होने पर भी अपना लेखनकार्य उन्होंने जारी रखा। बस्तर में आधुनिक साहित्य लिखने वालों में लाला जी का नाम प्रथम पंक्ति में आता है। तीसरे वक्ता के रूप में लोक कलाकार भरत गंगादित्य ने लाला जगदलपुरी के आंचलिक कविताएँ किताब से संबंधित अपना संस्मरण साझा करते हुए बताया कि लाला जगदलपुरी जी से आंचलिक हल्बी, भतरी, छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रति उन्हें प्राप्त हुई और गीतों को संगीतबद्ध किए जाने पर आकृति संस्था के सभागार में सारे गीतों का श्रवण लाला जी ने किया और प्रस्तुतकर्ता कलाकारों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

अगले वक्ता के रूप में नरेंद्र पाढ़ी ने अपनी संस्था बस्तर माटी से जुड़ी याद साझा की कि बस्तर माटी के गठन के बाद जब संस्था के संस्थापक कलाकार लाला जगदलपुरी के पास संरक्षक बनने का आग्रह लेकर पहुंचे तो पहले उन्होंने मना किया और कहा कि किसी आर्थिक सम्पन्न व्यक्ति को संरक्षक बनाएं, पर सभी के द्वारा पुनः आग्रह किए जाने पर वे मान गए थे। अगले क्रम में विपिन बिहारी दास ने लाला जगदलपुरी की ग़ज़ल का सस्वर गायन किया-"चमन के फूल मुरझाने लगे हैं। अमन के फूल मुरझाने लगे हैं । उठीं इस तरह ज़हरीली हवाएँ, गगन के फूल मुरझाने लगे हैं।" अंतिम वक्ता के रूप में लाला जगदलपुरी पर अपने विचार रखते हुए सनत जैन ने कहा कि लाला जगदलपुरी किसी वाद से ग्रस्त नहीं थे, उन्होंने स्वतंत्र और निर्भीक होकर अपना लेखन किया। उन्होंने तात्कालिक समस्याओं पर भी अपनी कलम चलाई। वर्तमान के रचनाकारों को भी उनसे प्रेरणा लेकर आत्मचिंतन करना चाहिए। इसके साथ ही परिचर्चा सत्र का समापन हुआ।

परिचर्चा सत्र के बाद दूसरा सत्र कवि गोष्ठी के रूप में आयोजित किया गया। कवि गोष्ठी में रामेश्वर प्रसाद चन्द्रा ने कविता सुनाई- "बढ़े चलो, बढ़े चलो। चाहे मुश्किलें हों जग में ,चाहे अंधियारा हो पथ में, मुश्किलों में मुस्कुराते चलो"। कवि नरेंद्र पाढ़ी ने हल्बी रचना सुनाई- "काय सुंदर बस्तर आमचो, सुंदर आमचो रुसुम"। ऋषि शर्मा' ऋषि' ने ग़ज़ल सुनाई- " लिखूँ भला क्या तुम पर कविता"। विक्रम सोनी ने अपनी हिन्दी कविता "दीवार" का पाठ किया। कृष्ण शरण पटेल ने लाला जगदलपुरी पर लिखी अपनी कविता का पाठ किया, उसके बाद अपनी व्यंग्य कविता सुनाई। गीतकार भरत गंगादित्य ने हल्बी रचना सुनाई- "जुहार जुहार जुहार तुमके जुहार आय, मोचो बस्तर माटी तुके जुहार करुंसे"। विपिन बिहारी दास ने ग़ज़ल सुनाई- " अजनबी हो तुम मगर ग़ैर नहीं लगती हो।"

शिरीष कुमार टिकरिहा ने रचना सुनाई- ऊंचे उड़ने की लालसा में, ज़मीन खोते जा रहे लोग"। अनिल शुक्ला ने कविता सुनाई- "समाज सभ्य हो गया है"। चमेली नेताम ने छत्तीसगढ़ी में कविता पाठ किया-चम चमा चम चोला ला चमका लौ भइया, ये बस्तर के माटी मा। अवध किशोर शर्मा ने गीत सुनाया- "वंदना के गीत दोहराती नहीं हैं। अब ऋचाएँ कंठ पर आती नहीं हैं"। कार्यक्रम में संजय कुमार झा, शोभा शर्मा और अन्य श्रोताओं की उपस्थिति रही। इस तरह द्वितीय सत्र का समापन हुआ। 

तृतीय सत्र में संगठनात्मक चर्चा और इकाई के पुनर्गठन का कार्य किया गया।सत्र के आरंभ में दिवंगत साहित्यकार विमल तिवारी को दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके पश्चात राष्ट्रीय कवि संगम की ज़िला इकाई का पुनर्गठन सर्व सम्मति से किया गया जो इस प्रकार है।

जिला संरक्षक-पद्मश्री धर्मपाल सैनी, ऋषि शर्मा "ऋषि", जिला संयोजक -भरत गंगादित्य, , जिला अध्यक्ष- अवध किशोर शर्मा, उपाध्यक्ष-विपिन बिहारी दास, सचिव - रामेश्वर प्रसाद चन्द्रा, सह सचिव- कृष्ण शरण पटेल,जिला सलाहकार- नरेन्द्र पाढ़ी, विक्रम सोनी,शशांक शेण्डे, कार्यकारिणी सदस्य-चमेली नेताम, डालेश्वरी पांडे, शोभा शर्मा, नरेन्द्र यादव। 

नवीन कार्यकारिणी के गठन के पश्चात सभी ने चर्चा के दौरान निर्णय लिया कि नियमित रूप से मासिक कवि गोष्ठी का संचालन संस्था द्वारा किया जाता रहेगा।कार्यक्रम के अंत में नवीन अध्यक्ष अवध किशोर शर्मा ने रचनाकारों से नियमित और राष्ट्र जागरण से संबंधित रचनात्मक लेखन करने का आग्रह करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।