भारत में ऐसे स्थान जहां रावण को जलाने के बजाय होती है पूजा

भारत में ऐसे स्थान जहां रावण को जलाने के बजाय होती है पूजा

12 अक्टूबर को देशभर में दशहरा पर्व की धूम है। अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक इस पर्व पर देशभर में रावण के पुतले का दहन होगा। आज के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध  कर लंका पति रावण के आतंक से सभी को मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण से दशहरा पर्व को।
विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है। एक ओर दशहरे के दिन पूरे देश में रावण दहन करने की परंपरा है तो वहीं देश में ऐसे भी स्थान हैं जहां रावण का दहन नहीं बल्कि पूजा की जाती है।

ग्रेटर नोएडा से करीब 15 किमी दूर बसे बिसरख गांव में रावण की पूजा होती है। इस गांव का नाम रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम पर रखा गया है।मान्यताओं के अनुसार, रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था। यहां रावण को महा ब्राह्मण मानकर पूजा जाता है और नवरात्रि के दौरान उसकी आत्मा को शांति देने के लिए यज्ञ भी किए जाते हैं।


राजस्थान के जोधपुर में भी दशहरे पर रावण दहन की जगह शोक मनाया जाता है। इस शहर के मुदगिल ब्राह्मण रावण के वंशज हैं, जो इस पर्व पर उसके लिए श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। हिंदू ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मंडोर में हुआ था, जहां दोनों का विवाह कराया गया था।
उसी समय मुदगिल ब्राह्मण लंका से जोधपुर आए थे।

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में रावण को असुर की जगह भगवान माना जाता है। यहां फाल्गुन मास के दौरान रावण और उसके बेटों की पूजा की जाती है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रावण की विधि-विधान से पूजा होती है। यहां के स्थानीय लोग रावण को भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। इसके बाद भोले बाबा ने उसे वरदान दिए थे। यही कारण है कि कांगड़ा में दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।

मध्य प्रदेश का मंदसौर रावण का ससुराल माना जाता है। रामायण के अनुसार, यह शहर मंदोदरी का पैतृक घर था, जिस कारण रावण को यहां का दामाद कहा जाता है। यहां के लोग रावण के ज्ञान और उसकी शिव भक्ति के कारण उसकी पूजा करते हैं। इस जगह पर रावण की 35 फुट ऊंची प्रतिमा बनवाई गई है।
यहां दशहरे के दिन लोग रावण दहन करने के बजाय उसकी मृत्यु का शोक मनाते हैं और उसके लिए प्रार्थना करते हैं।