देश में बाल विवाह के मामलों में छह गुना उछाल, NCRB के चौंकाने वाले आंकड़े
Child marriage cases
नई दिल्ली। देश में बाल विवाह को रोकने के लिए सख्त 'बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006' लागू होने के बावजूद, हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 में बाल विवाह के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग छह गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।
आंकड़ों के मुताबिक, यह वृद्धि कानून के कार्यान्वयन और ज़मीनी स्तर पर सामाजिक जागरूकता की कमी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 'बाल विवाह निषेध अधिनियम' के तहत दर्ज मामलों की संख्या इस प्रकार रही:
वर्ष दर्ज मामले (Prohibition of Child Marriage Act के तहत)
2023 6,038
2022 1,002
2021 1,050
वर्ष 2023 में दर्ज किए गए 6,038 मामले, 2022 के 1,002 मामलों की तुलना में छह गुना से अधिक की वृद्धि दर्शाते हैं।
असम में सबसे अधिक मामले :
रिपोर्ट के विश्लेषण से यह सामने आया है कि इस भारी वृद्धि में एक राज्य का योगदान सबसे अधिक रहा है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में दर्ज कुल मामलों में से लगभग 90% अकेले असम राज्य से थे। इसके बाद तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी मामले दर्ज किए गए।
जानकार इस भारी उछाल के कारणों में एक राज्य द्वारा सख्त कानूनी कार्रवाई, बढ़े हुए जागरूकता अभियान, और पुलिस द्वारा सक्रिय रूप से मामले दर्ज करने को भी मानते हैं, जो पहले के वर्षों में कम रिपोर्टिंग के कारण छिपा हुआ था।
चिंताजनक संकेत :
विशेषज्ञों का कहना है कि बाल विवाह के मामलों में यह तेज उछाल दोहरी तस्वीर पेश करता है। एक ओर, यह दर्शाता है कि यह कुप्रथा अभी भी गहराई तक जड़ें जमाए हुए है, वहीं दूसरी ओर, कुछ राज्यों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सक्रियता और नागरिकों के बीच बढ़ी हुई जागरूकता भी हो सकती है, जिसके चलते अब अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि बाल विवाह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य के लिए भी गंभीर खतरा है। सरकार और नागरिक समाज दोनों के लिए ये आंकड़े एक चेतावनी हैं कि इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ व्यापक सामाजिक सुधारों और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।

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