"दिवाली में रिकॉर्डतोड़ बिक्री ने भारत की आर्थिक शक्ति और स्वदेशी भावना को किया प्रदर्शित" - कैट
रायपुर। देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य अमर पारवानी, प्रदेश चेयरमेन जितेन्द्र दोशी, प्रदेश चेयरमेन विक्रम सिंहदेव, प्रदेश अध्यक्ष परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री सुरेन्द्र सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अपनी रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर देशभर के 60 प्रमुख वितरण केंद्रों जिनमें सभी राज्यों की राजधानियाँ एवं टियर-2 और टियर-3 शहर शामिल हैं। पर आधारित विस्तृत “दिवाली त्यौहार बिक्री 2025 पर रिसर्च रिपोर्ट” जारी की है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार इस वर्ष दिवाली त्यौहार की बिक्री छत्तीसगढ मे लगभग 15250 हजार करोड़ रूपये से 16000 हजार करोड़ रूपये का व्यापार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष दिवाली पर देशभर में कुल बिक्री ₹6.05 लाख करोड़ तक पहुँची, जिसमें ₹5.40 लाख करोड़ का वस्तु व्यापार और ₹65 हज़ार करोड़ का सेवा व्यापार शामिल है। जो अब तक का देश के व्यापार इतिहास का सबसे बड़ा त्योहारी कारोबार है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य अमर पारवानी ने बताया कि रिपोर्ट यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी दरों में राहत और स्वदेशी अपनाने के “मजबूत ब्रांड एंबेसडर” के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को अभूतपूर्व रूप से प्रेरित किया है।
पारवानी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का “वोकल फॉर लोकल” और “स्वदेशी दिवाली” का आह्वान जनता के बीच गहराई से गूँजा 87 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने भारतीय वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं के मुकाबले प्राथमिकता दी, जिससे चीनी उत्पादों की मांग में तेज गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों ने बताया कि भारतीय निर्मित वस्तुओं की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत बढ़ी है । उन्होंने बताया कि दिवाली 2025 के आंकड़े पिछले वर्ष (₹4.25 लाख करोड़) की तुलना में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हैं। मुख्य रूप से गैर-कारपोरेट एवं पारंपरिक बाजारों ने कुल व्यापार में 85 प्रतिशत योगदान दिया, जो भारतीय खुदरा बाजारों और छोटे व्यापारियों की शानदार वापसी को रेखांकित करता है।
पारवानी ने बताया कि प्रमुख त्योहारी वस्तुओं के क्षेत्रवार बिक्री प्रतिशत इस प्रकार रहा :- किराना एवं एफएमसीजी 12 प्रतिशत, सोना-चाँदी 10 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स 8 प्रतिशत, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 7 प्रतिशत , रेडीमेड परिधान 7 प्रतिशत, गिफ्ट आइटम 7 प्रतिशत, होम डेकोर 5 प्रतिशत, फर्निशिंग एवं फर्नीचर 5 प्रतिशत, मिठाई एवं नमकीन 5 प्रतिशत, वस्त्र 4 प्रतिशत, पूजन सामग्री 3 प्रतिशत,
फल एवं मेवे 3 प्रतिशत, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी 3 प्रतिशत, फुटवियर 2 प्रतिशत, तथा अन्य विविध वस्तुएँ 19 प्रतिशत शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में भी भारी वृद्धि दर्ज हुई और इसमें ₹65,000 करोड़ का व्यापार हुआ। पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, टैक्सी सेवाएँ, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट एवं सजावट, मैनपावर और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व गतिविधि रही, जिससे त्यौहारी अर्थव्यवस्था के दायरे का विस्तार हुआ।
पारवानी ने कहा कि GST दरों का तर्कसंगठन (rationalisation) उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने में बेहद प्रभावी सिद्ध हुआ है। सर्वे में शामिल 72 प्रतिशत व्यापारियों ने माना कि उनके अधिक बिक्री का सीधा कारण जीएसटी दरों में कटौती रही है। उपभोक्ताओं ने भी मूल्य स्थिरता से संतुष्टि व्यक्त की, जिससे त्योहारी खर्च में निरंतरता बनी रही।
पारवानी ने कहा कि व्यापारी और उपभोक्ता भावना पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर हैं। ट्रेडर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (TCI) 8.6/10 तथा कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) 8.4/10 के स्तर पर है। उनका मानना है कि उपभोग में यह वृद्धि दीर्घकालिक रूप से स्थायी है, जो नियंत्रित मुद्रास्फीति, बढ़ती आय, और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास से प्रेरित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उत्साहपूर्ण स्थिति सर्दियों, विवाह सीजन और जनवरी के मध्य से शुरू होने वाले अगले त्योहारी दौर तक जारी रहेगी।
रोजगार एवं आर्थिक प्रभाव पर बोलते हुए पारवानी ने बताया कि गैर-कारपोरेट एवं गैर-कृषि क्षेत्र, जिसमें 9 करोड़ छोटे व्यापारी और लाखों विनिर्माण इकाइयाँ शामिल हैं, आज भी भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन हैं। दिवाली 2025 के व्यापार से 50 लाख अस्थायी रोजगार सृजित हुए हैं। ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों ने कुल व्यापार में 28 प्रतिशत योगदान दिया, जो महानगरों से परे आर्थिक सशक्तिकरण का प्रमाण है।
पारवानी ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं जिसमें छोटे व्यापारियों एवं निर्माताओं के लिए जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल किया जाए और क्रेडिट तक पहुंच आसान की जाए वहीं टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग हब विकसित किए जाएँ। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर बाजारों का डिजिटलीकरण किया जाए और इसके लिए बैंक कमीशन को समाप्त किया जाए। शहरी बाजारों में यातायात, पार्किंग और अतिक्रमण प्रबंधन को सुदृढ़ किया जाए। स्वदेशी” अभियान को सरकार और व्यापार जगत के संयुक्त प्रयास से निरंतर प्रोत्साहित किया जाए।
“यह वर्ष की दिवाली ऐतिहासिक रही जो समृद्धि, राष्ट्रवाद और आर्थिक आत्मविश्वास का पर्व,” ऐसा कहते हुए पारवानी ने कहा की “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत का खुदरा व्यापार क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ बन चुका है जो परंपरा, तकनीक और विश्वास का संगम प्रस्तुत करता है।”

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