बस्तर में धर्मांतरण करने वालों का बोरिया-बिस्तर बंधवाने के बाद जाएंगे बंगाल : पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

बस्तर में धर्मांतरण करने वालों का बोरिया-बिस्तर बंधवाने के बाद जाएंगे बंगाल :  पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

पांच दिवसीय हनुमंत कथा का हुआ समापन

रायपुर। युवा समाजसेवी चंदन - बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) के नेतृत्व में स्व. पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय श्री हनुमंत कथा का आज समापन हुआ। कथा विश्रांति के अवसर पर श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अभी हमें बस्तर जाना है। नक्सलियों का बिस्तर तो बंध गया है,अब धर्म विरोधियों का भी बिस्तर बांधना है।

पंडित शास्त्री ने कहा कि एक बात छत्तीसगढ़ के लोगों से कहना चाहता हूं कि तुम आज प्रण ले लो बस्तर में होने वाले धर्मांतरण का बिस्तर हम लोग बंधवाएंगे। इसके बाद बंगाल भी चलेंगे। हम पर भगवान की बड़ी कृपा है। ना आगे भैंस ना पीछे भैंस पड़ी है। जटायू की महिमा रामचरित्र मानस में इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि वह धर्म पर चलना ही नहीं, धर्म पर चलकर दिखाया भी है और यही धर्मात्मा के लक्षण है।

छत्तीसगढ़ पुलिस की साइबर ठगों के खिलाफ चलाए जा रहे जागरुकता अभियान की तारीफ

जागरुकता के लिए सूचना देते हुए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा लोगों को सायबर ठगी से सुरक्षित करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइल फोन पर फोन लगाकर कुछ असामाजिक तत्व कहेंगे कि आपका बेटा पकड़ा गया है, एफआईआर हो गई है छुड़वाना पड़ेगा, अगर उसे छुड़वाना चाहते हो बिना एफआईआर के तो हमारे एकाउंट में रुपया डाल दो हम छुड़वा देते है। ऐसी झूठी-झूठी बातें बनाकर ये सायबर ठग लोगों को गाड़ी के चालान के नाम पर, कई बार लॉटरी बनाने के नाम पर, कई बार फर्जी वेबसाइट में टोकन देने के नाम पर और तो छोड़ों हमने मिलवाने के नाम पर कई लोगों ठगी करने रहे हैं।

एक बार एक श्रद्धालु ने हमें मोबाइल पर दिखाया कि बागेश्वर धाम सरकार से डायरेक्ट मिला देंगे। इसके लिए आपको मात्र 1100 रुपये देने होंगे। इस पर हमने उस आदमी को खुद ही फोन लगा दिया और कहा कि हम बहुत हैरान है गुरुजी से बात करवा दो, तब उसने कहा 1100 रुपये लेंगे अभी बात कराते है, हमने कहा गुरुजी कहां है, वह बोले हवन कर रहे है, तो हमने कहा हम उनके पर्सनल अस्टिटेंट बोल रहे हैं  इस पर वह कहने लगे कौन बोल रहे हो। तब हमने कहा कि हम वही बोल रहे है जिनके नाम पर तुम ठगी कर रहे हो और वह तुरंत फोन कट कर दिया और आज तक उसका दोबारा फोन नहीं लगा। इसलिए मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि आप लोग ऐसे व्यक्तियों को अपना एकाउंट एक्सेस ना देवें, बिना जान-पहचान के पैसा ट्रांजेक्शन ना करें, यह अभियान छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा चलाया जा रहा है। जोरदार ताली बजाकर उनका उत्साहवर्धन करें।

भगवान के होने के लिए बाहर से रहो संसारी, अंदर से हो जाओ सन्यासी

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मनुष्य तन पाकर जो हम नहीं कर रहे है समझ जाओ वह मनुष्य कहलाने लायक नहीं है। रामायण कहती है कि मनुष्य तन पाने वाला भाग्यशाली होता है लेकिन उससे बड़ा और बड़भागी है जो माता-पिता की बात को मानकर उन पर चलता है। जो मनुष्य तन पाकर सत्संग सुन रहा है दूसरे नंबर का भाग्यशाली व्यक्ति है। चौथा नंबर का भाग्यशाली व्यक्ति वह है जो रामजी के चरणों में अनुराग रखता है, अनुराग का मतलब होता है प्रेम। हम लोग प्रेम तो करते है लेकिन रामजी से नहीं पड़ोसी-पड़ोसन से। जगत से प्रेम और परमात्मा से फोटो का प्रेम है। आप संसार में हो और हम भी संसार में है और इस माया के संसार में बड़े-बड़े प्रचढ़ सामने आएंगे, इस माया के प्रचंड में रहकर भी कैसे भगवान के हो सकते है इसका एक उपाय है। बाहर से रहो संसारी, अंदर से हो जाओ सन्यासी। बाहर से दुनिया वालों के रहो, अंदर से गोविंद वालों के हो जाओ। बाहर से लोगों के रहो अंदर से उसके हो जाओ जिसने यह दुनिया बनाई है। यह कहना तो सरल है लेकिन मानना बहुत कठिन है जितना धुंआ को पकड़ना कठिन है। क्योंकि हम लोगों ने उलटा कर दिया है। गाड़ी का 18 नंबर का चक्का होता है, छोटी गाड़ी के चक्के को बड़ी गाड़ी में फीट कर दिया जाए तो क्या गाड़ी चलेगी, नहीं ना। तो अंदर के सिस्टम को बिगाड़ करके कैसे सुखी रह सकते हो। भगवान ने एक दिल दिया एक दिमाग दिया दोनों का उपयोग करके दिया और बोले दिल लगाओ भगवान में दिमाग लगाओ संसार में। दिल तो लगा रहे पड़ोसन से और दिमाग लगाते है भगवान में, जहां दिमाग लगाना चाहिए वहां तुम दिल लगा रहे हो जहां दिल नहीं लगाना चाहिए वहां तुम नहीं लगा रहे हो, जगत में लगाओ दिमाग यह है की नहीं इसकी पुष्टि रामचरित्र मानस ने कर दी है।

वह हिन्दु हिन्दु नहीं है जो अधर्म के खिलाफ आवाज ना उठाए

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मन को माधव से जोड़ो और तन को संसार से जोड़ो। अगर सही कनेक्शन होगा तभी तो लाइट जलेगी, जोडऩे वाला ही पूज्यनीय होता है तोडऩे वाला नहीं होता। दर्जी की दुकान में गया कोई आज तक, वहां दो वस्तु होती है एक कैंची और एक सुई, कैंची को हमेश दर्जी नीचे रखता है और सुई को हमेशा टोपी में रखता है क्योंकि कैंची काटकर अलग करने का काम करती है और सुई हमेशा जोडऩे का काम करती है। जो जोडऩे का काम करेगा वह सिर पर रहेगा और जो तोड़ने का काम करेगा वह जमीन पर रहेगा। जो तोड़ने का काम करेगा वह जमीन में गढ़ जाएगा क्योंकि रामचरित्र मानस जोडऩे का काम करती है इसलिए वह हिन्दुओं के सिर पर रहती है और विधर्मियों की बातें तोड़ने का काम करती है इसलिए उसकी समाज वह गलती कर जाता है। लोग कहते है कि हम नहीं सुधरेंगे चाहे जो हो जाए हम नफरत में ही प्रेम के आदि है पर गर्व से कहते है हम हिन्दुत्ववादी है। और वह हिन्दु हिन्दु नहीं है जो अधर्म के खिलाफ आवाज ना उठाए।

यदि उच्च आचरण होगा तो कितनी भी गड़बड़ हो जाए तुम हमेशा विजयी रहोगे

उचारण ठीक हो या ना हो पर उच्च आचरण जरुर होना चाहिए। कई लोगों का उचारण ठीक होता है लेकिन आचरण ठीना होना जरुरी है। यदि उच्च आचरण होगा तो कितनी भी गड़बड़ हो जाए तुम हमेशा विजयी रहोगे। लेकिन हनुमान जी के पास दो ही ठीक है और वह भी उच्च कोटि के। बीमार मरीज ही डॉक्टर के पास आता है, जो मरीज चलने फिरने वाला होता है वही मरीज आ पाता है जिसकी हालत घस्ता हो उसे एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। हनुमान जी भगवान राम से कहते हैं कि जिसके मत्ष्क पर प्रभू राम जी का हाथ हो और वही गिर जाएगा तो दुनिया में फिर बचेगा कौन क्योंकि हम तो गिर ही नहीं सकते क्योंकि आपका हाथ हमारे सिर पर है। सलाहकार हनुमानजी जैसा रखोगे तो तुम्हें रामजी के पास नहीं जाना पड़ेगा, वही लेकर आ जाएंगे और हनुमानजी के अंदर यही लीला है। हनुमानजी राजा भी बनाते है और राम से भी मिलवाते है। राजा तो बहुत लोग बन जाते है पर एक डर रहता है की कहीं उनकी गद्दी घिस ना जाए। हनुमानजी सुघ्रीव से बोले तुम डरो मत, हमारी बात मान लो तुम्हें गद्दी भी मिलेगी, तुम राजा भी बनोगे और रामजी भी तुम्हें मिलेंगे, तुम्हारी गद्दी घिसकेगी नहीं।

हनुमानजी के चरण पकड़ लोगे तो वह रामजी और शिवजी से भी मिलवा देंगे

हनुमान जी राक्षसो का घर जलाते है लेकिन अपना पूंछ भी बचाते है। लोगो का मानना है कि भगवान कृष्ण ने गीता अर्जुन को सुनाई लेकिन हमें लगता है अर्जुन तो बहाना था हनुमान जी को गीता का पाठ सुनाना था। क्योकि सुनने के रसीक तो हनुमान जी है। जग में दो नाम है राम और कृष्ण और हनुमान जी दोनों जगहों पर है। आप यदि हनुमान जी की भक्ति करोगे तो ना आपको रामजी के पास जाना पड़ेगा और ना शिवजी, जानकी माता के पास जाना पड़ेगा, केवल हनुमानजी के चरण पकड़ लोगे तो वह रामजी से भी मिलवा देंगे और शिवजी से भी मिलवा देंगे। आप लोग कहोंगे ऐसा संभव है, क्योंकि चारों युगों में हनुमानजी व्याप्त है। एक बार माता सीता हनुमान से पूछ बैठी की लंका में आग लगी लेकिन तुम नहीं जले, इस पर हनुमानजी ने कहा कि लंका में जो आग लगी यह साधारण आग थोड़ी है रावण ने कहा था कि पाबकदेही लगाए, तब माता जानकी बोलती है पाबक माने भी तो आग होती है। जो भक्त का अपराध करता है राम के क्रोध रुपी अग्नि में जल जाता है। इसने आप पर अपराध किया इसलिए राम के क्रोध की अग्नि लंका में नगर में लगी। अग्नि में अगर जलाने की शक्ति है तो बचाने की भी शक्ति थी। पृथ्वी पर दूसरे रामजी हो सकते है लेकिन हनुमान जैसा दूसरा भक्त कोई नहीं हो सकता। हनुमान जी की जो भक्ति करता है वह रोगी होने के बाद भी निरोगी हो जाता है।

मरने से पहले भगवान चार बार बजाते है घण्टी

आदमी को अपना जन्मदिन याद रहता है, शादी की तारीख याद रहती है, पर एक बात कभी भी याद नहीं होती होगी वह बुढ़ापा कब आ जाए उसका कोई ठिकाना नहीं होता है। भगवान मरने से पहले चार बार घण्टी बजाते है - पहली घण्टी है कान से सुनाई देना, लेकिन आदमी बड़ा चतुर है मशीन लगाके आ जाता है। दूसरी घण्टी है -आँखों से दिखना कम हो जाता है,  लेकिन आदमी बड़ा चतुर है दूसरे दिन लैंस का नंबर बदलवा लेता है और चश्मा पहनकर आ जाता है। तीसरी घण्टी है - बालो को सफेद कर देते है, जिनके हो गए है चेक कर लो। लेकिन आदमी बड़ा चतुर है गोदरेज व डाई लगाकरके आ जाता है। सर के बालो में तो लगता ही है मूछों में भी लगता है और चौथी घण्टी बजाते है - कमर की हड्डी तोड़ देते है और वह आदमी छूक जाता है और लाठी का सहारा लेने लगता है। दूसरे दिन ही वह आदमी सर्जरी करवा करके आ जाता है और पट्टा बांधकर ऊंट की तरह खड़े हो जाता है सीधे। भगवान समझ जाते है कि इसे भजन-वजन नहीं करना है फिर भगवान घण्टी नहीं बजाते सीधे ऊपर की टिकट कांट देते है। हर-हर महादेव.....।
यदि हनुमान जी बूढ़े होते तो हम लोग आरती क्या गाते - आरती की जय हनुमान बप्पा जूं की क्योकि बूंदेलखंड में हनुमान जी को बप्पा कहा जाता है जहां हम रहते है। हनुमान जी बालक रुप में ही पूजे जाते है क्योंकि हनुमान जी को माता जानकी ने वारदान दिया अजर अमर का। रामजी को कोई जीत नहीं सकता और ऐसी अंगूठी कोई दूसरा बना नहीं सकता क्योंकि रामजी को पता था कि यही वो हनुमानजी है जो माता जानकी जी का पता लगा सकती है इसलिए रामजी ने हनुमान जी को अपनी अंगूठी दी थी।

चंदन - बसंत अग्रवाल व्यक्त किया आभार

पुलिस प्रशासन की टीम, स्वास्थ्य विभाग, युवा समाजसेवी स्व. श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन के सदस्यों के साथ मीडिया का भी युवा समाजसेवी चंदन - बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) ने पांच दिवसीय हनुमंत कथा दिव्य दरबार में सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम तो सिर्फ कथा करवाने वाले है करवाने वाले तो हनुमान जी है। 5 हजार कार्यकर्ता एक महीने से ना दिन देख रहे है ना रात देख रहे है और अपना कार्य कर रहे है। हमारा प्रयास था कि हम आप लोगों को अच्छी सी अच्छी व्यवस्था दें, हमारे किसी भी विभाग के पैर में कांटा ना करें और ऐसे ही इस दही हाण्डी ग्राउंड में हमेशा सनातन का महाकुंभ लगता रहे। गुरुवर हमको एक बात हमेशा बोलते है 7 नवंबर से जो गुरुवर की सनातन पद यात्रा निकल रही है हमारे सारे शिशु मंडल के सदस्य वहां जाएंगे। युवा समाजसेवी चंदन - बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) ने जात, पात की करो बिदाई हम सब हैं भाई-भाई का नारा दिया।

सनातनियों में नवीन ऊर्जा और नवीन क्रांति ला रहे पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री - अभिरामदेवाचार्य महाराज

मलूखपीठाधिश्वर अभिरामदेवाचार्य महाराज संबोधित करते हुए कहा कि हम लोगों के लिए गौरव का विषय है कि सनातनियों में नवीन ऊर्जा और नवीन क्रांति के लिए अप्रत्यक्ष रुप से अनेक संतों ने अपनी दृष्टि बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बनाए हुए है। बार-बार छत्तीसगढ़ पर आपका आगमन होता रहे यही शुभकामनाएं आपको देते है।
राजीव लोचन महाराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूमि का सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ में जन्मे अभिरामदेवाचार्य महाराज को अग्रपीठाधीश्वर महाराज जी ने अपने शरण में वेष देकर वैराग्य में संस्कार देकर प्रयागराज महाकुंभ में जगतगुरु द्वारा द्वाराचार्य के पद पर नियुक्ति है यह छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है। अनुभवानंद चार्य को जब द्वाराचार्य बनाया गया तो छत्तीसगढ़ के लोगों को इसकी सूचना नहीं थी क्योंकि जब वे यहां आए तो कई लोग कहने लगे कि यह छगरुप धारण करके यहां आ गए है। छत्तीसगढ़ में कार्य करने के लिए जगतगुरु ने इनको नियुक्त किया है।

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सबको धर्म और रामजी से जोड़ने का कर रहे है प्रयास - लोमेश गर्ग

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बड़े भाई आचार्य लोमेश गर्ग जी ने संबोधित करते हुए कहा कि आप लोग और देशवासी सौभाग्यशाली है क्योंकि वर्तमान का समय बहुत ही प्रखर और सुंदर चल रहा है। यही एक ऐसा समय है जितने समय जब आम धर्म भी कर सकते है और यही वह समय है जिसकी विजय होगी वही शेष रहेगा। ऐसे धर्म की संवर्धना करने के लिए भगवान महापुरुषों के रुप में पृथ्वी पर आते रहे है, धर्म की स्थापना करते रहते है, तो आप लोगों को भी धर्म लाभ मिल रहा है बागेश्वर धाम सरकार का।  हम और ज्यादा सौभाग्यशाली है कि हमें ऐसे अनुज मिले जिन पर आज देश भी गर्व कर रहा है और हमें तो गर्व है ही क्योंकि महाराज जी हमसे 12 साल छोटे है। बचपन से खिलाया,  इनकी वाणी में बड़ी चंचलता है। 6 पिताजी, 6 इनसे बड़े भाई और इन सबका आर्शीवाद मिला और बचपन से मीठा-मीठा खाया तो आवाज भी चिकनी हो गई है आज और उसी चिकनी वाणी से राम नाम का आश्रय लेकर सबको धर्म और रामजी से जोडऩे का प्रयास कर रहे है। जैसे प्रेम और भाव के कई रिश्ते और कई रुप है, माता-पिता, बड़ा भाई, इसके अंदर छोटे के प्रति ममत्व होता और वह ममत्व स्नेह जाग जाता और इनसे मिलने पर सबको प्रसन्नता होती है और हमारा हृदय रोने लगता है। छोटे है और पता नहीं चलता कब सो रहे है और कब खा रहे है, दशहरा पर कुल पूजा होती है वहां पर हम पूरा परिवार मिले। कल सुबह 4 बजे भोजन किया यह देखकर हम रोने लगे क्योंकि धर्म और देश के लिए अन्न जल का त्याग कर रहे हैं त्याग वो नहीं कहलाता। केवल आप लोगों को दर्शन देने के लिए अपनी भूमि, भूख, नींद और भोजन सब त्यागे हुए है, हम लोगों की बार-बार डाट भी सह रहे है। कहते है हमारी मजबूरी है, व्यवस्था है। हम लोग भी दर्शन और मिलने के लिए तरस जाते है। जो धर्म को त्याग करके दूसरे धर्म अपनाए हुए है आज आप हम सब एक साथ होकर एक प्रेम सूत्र में बंधकर रहेंगे तो ज्यादा नहीं एक-एक टाईम का भोजन तो मिलने लगेगा और महाराजश्री को भी। इसलिए धर्म पर चले, धर्म का आचरण करें।