जैविक कृषि की उपलब्धियों का उत्सव शुरू,ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कान्क्लेव -2024 का आगाज
दंतेवाड़ा से भूषण सेठिया की रिपोर्ट
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण का संकेतक है जैविक कृषि : कृषि आयुक्त शहला निगार
दंतेवाड़ा। जिले के कृषि परिदृश्य में जैविक कृषि की उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देने के उद्देश्य से ऑडिटोरियम जावंगा में आज ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कान्क्लेव का गरिमापूर्ण शुभारंभ आयुक्त एवं सचिव कृषि शहला निगार द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के जैविक कृषि विशेषज्ञ जैविक कृषि से जुड़े विपणन संस्थाएं, फर्म प्रतिनिधि मंडल सहित कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा, एवं भूमगादी संस्था के प्रतिनिधि एवं कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर संबोधन में कृषि आयुक्त ने कहा कि इस कान्क्लेव के आयोजन का पूरा श्रेय जिले के कृषकों के जैविक कृषि की उपलब्धियों का जाता है। उनकी सामूहिक सहभागिता ने ही दंतेवाड़ा जिले को देश के जैविक कृषि के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। पूर्व में हम मात्र खाद्य सुरक्षा की ही चर्चा करते थे परन्तु अब पोषण सुरक्षा का अधिक महत्व हो गया है। और जैविक कृषि मानव स्वास्थ्य पोषण सूचकांक से सीधे तौर पर जुड़ा है। आखिरकार हमारा स्वास्थ्य वहीं से बनता है जो हम खाते है। इस प्रकार स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा में जैविक कृषि की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। उन्हें प्रसन्नता है कि जिले के कृषकों द्वारा पीढ़ियों से पारंपरिक कृषि के माध्यम से जैविक कृषि को संरक्षित किया गया है। जैविक कृषि में सामुदायिक सहभागिता ने ही दंतेवाड़ा जिले को महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। कोई आर्श्चय नहीं कि दन्तेवाड़ा जिला ही प्रदेश में जैविक कृषि का प्रतिनिधित्व करेगा। इस संबंध में उन्होंने संभावित चुनौतियों जैसे कृषकों के सोच में परिवर्तन, खेतों में असमतल होने के कारण कलस्टर निर्माण एवं बफर जोन तैयार करने जैविक खेती के लिए मार्केटिंग, प्रमाणीकरण की जटिलता, प्रोसेस का जटिलता पर भी विचार करने का आग्रह भी किया।
उन्होंने आगे कहा कि जैविक कृषि क्षेत्र की लगातार निगरानी, कृषकों से वार्तालाप, उनकी समस्याओं की तुरन्त समाधान, जैविक उत्पादों के मार्केटिंग तथा किसानों को उत्पादों के लाभांश के संबंध में रणनीति बनाई जानी चाहिए।
इसके पूर्व कलेक्टर श्री चतुर्वेदी ने दंतेवाड़ा के जैविक जिले के रूप में विकास यात्रा के रूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में जो उपलब्धियां जैविक कृषि के रूप में जिले ने अर्जित की है यह सामुदायिक प्रयास का सर्वोत्तम उदाहरण है। आजादी के बाद कई सालों तक दंतेवाड़ा में खेती में ज्यादा रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं हुआ। यहां की खेती में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का कम असर था, जिससे मिट्टी की सेहत और प्राकृतिक संतुलन बना रहा। पुराने खेती करने के तरीके, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहे थे, जैविक खाद और प्राकृतिक चीजों पर आधारित थे। जब भारत में हरित क्रांति के साथ ज्यादा पैदावार देने वाली फसलें और रासायनिक खादें आई, तब भी दन्तेवाड़ा जिला ने इनसे दूरी बनाए रखी और जिले में पारंपरिक जैविक तरीकों से 1 ही खेती की जा रही है। इसी वजह से यहां जैविक खेती के लिये अच्छा माहौल बना रहा। इसके अलावा जिले के सभी 27089 किसानों को अपने मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी एवं संतुलित मात्रा में जैविक खाद के उपयोग के लिये प्रति वर्ष मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले को राज्य स्तर से इस वर्ष प्राप्त लक्ष्य 6700 के अतिरिक्त जिला खनिज न्यास निधि मद से 21289 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण किये जाने हेतु कार्ययोजना तैयार कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने जिले के पारंपरिक धान के किस्मों की संरक्षण और उनके उत्पादन पर प्रोत्साहन, सघन धान खेती प्रणाली (श्रीविधि ), जैविक कृषि को बढ़ावा देने में मोचो बाड़ी कार्यक्रम का योगदान, जिले के 220 ग्रामों में जैविक किसान खेत पाठशाला प्रशिक्षण कार्यक्रम, जैविक कृषि कार्यकर्ता कृषि सखी, किसान मित्रों की भूमिका, जिले विकासखण्डों में जैविक आदान सामग्री विक्रय केन्द्र की स्थापना, किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से जैविक उत्पादों को बाजार से जोड़ने का प्रयास, वृहद क्षेत्र प्रमाणीकरण के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस दौरान ऑडिटोरियम हाल में जिले के कृषकों की जैविक उपलब्धियों की डाक्यूमेंट्री का भी प्रदर्शन किया गया। जिसे सभी आगन्तुक अतिथि ने विशेष रूप से सराहना किया।
इस मौके पर अन्य राज्यों से आए जैविक कृषि विशेषज्ञों में से आए डॉ. रामू (सतत कृषि केन्द्र) ने बस्तर में जैविक खेती की ओर बड़े पैमाने पर अपनाने की दिशा में रूपरेखा सहित देश के अन्य प्रदेशों से सिक्किम एवं केरल में जैविक कृषि के संबंध में बनाई गई रणनितियों, खाद्य एवं जीविकोपार्जन की सुविधा, डॉ. वाचस्पति पाण्डेय द्वारा बड़े क्षेत्र प्रमाणन, बी.व्ही राव ने तृतीय पक्ष प्रमाणीकरण, जैकब नेलिधानम ने बाजार गहरीकरण प्रणाली, बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करने, कविता कुरूगती ने जैविक उत्पाद को बाजारों के मुख्यधारा में लाने, कृषि पारिस्थितिकीय परिदृश्य दृष्टिकोंण जैसे विषयवस्तु पर कान्क्लेव में अपने विचार रखे। कान्क्लेव के आज प्रथम सत्र में अलग-अलग सेशन में विभिन्न प्रकार की परिचर्चाएं एवं संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
उल्लेखनीय है कि शुभारंभ के अवसर पर संभाग के अन्य जिलों जैसे सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर, बस्तर से भी जैविक कृषि उत्पादों के स्टॉल लगाए गए थे जिसका अतिथियों ने निरीक्षण किया। कल 7 दिसंबर को ऑर्गेनिक दंतेवाड़ा कान्क्लेव का समापन समारोह होगा। प्रदेश के कृषि मंत्री रामविचार नेताम उपस्थित रहेगे। साथ ही जिले के प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित भी किया जाएगा। इस अवसर पर कृषि उपसंचालक सूरज पंसारी एवं भूमगादी संस्था से प्रतिनिधि आकाश बढ़ावे सहित ग्रामीण कृषक जन उपस्थित थे।