UPI से सालाना ₹20-40 लाख का लेनदेन? अब अनिवार्य हो सकता है GST रजिस्ट्रेशन: कर्नाटक सरकार की सख्ती

UPI से सालाना ₹20-40 लाख का लेनदेन? अब अनिवार्य हो सकता है GST रजिस्ट्रेशन: कर्नाटक सरकार की सख्ती

नई दिल्ली। कर्नाटक वाणिज्य कर विभाग ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में UPI या किसी भी डिजिटल माध्यम से सेवाओं के लिए ₹20 लाख या वस्तुओं के लिए ₹40 लाख से अधिक का लेनदेन करता है, तो उसे वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य हो सकता है। विभाग ने यह भी कहा है कि भुगतान का तरीका चाहे UPI हो, नकद हो, बैंक ट्रांसफर हो या अन्य कोई माध्यम – यदि कुल सालाना टर्नओवर इस सीमा से अधिक है, तो GST कानून लागू होगा। यह कदम विभाग द्वारा 2021-22 से 2024-25 तक के UPI लेनदेन डेटा के विश्लेषण के बाद उठाया गया, जिसमें 14,000 से अधिक व्यापारियों को नोटिस भेजे गए और करीब 50,000 अन्य की निगरानी की जा रही है।

इस कार्रवाई के विरोध में कई छोटे व्यापारी जैसे चाय वाले, बेकरी, जनरल स्टोर और स्ट्रीट वेंडर्स ने UPI भुगतान बंद कर “No UPI, Only Cash” जैसे बोर्ड लगाना शुरू कर दिया। इस विवाद के बीच 25 जुलाई को राज्यव्यापी बंद का आह्वान भी किया गया। हालांकि विभाग ने 17 जुलाई को स्पष्ट किया कि ये नोटिस अंतिम कर निर्धारण नहीं हैं, बल्कि जानकारी और स्पष्टीकरण के लिए भेजे गए हैं। व्यापारी यदि ये साबित कर सकें कि उनके लेनदेन व्यक्तिगत हैं या कर-मुक्त वस्तुओं से संबंधित हैं, तो उन्हें टैक्स नहीं देना होगा। इसके साथ ही विभाग ने यह भी कहा कि जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर ₹1.5 करोड़ तक है, वे कंपोजिशन स्कीम का लाभ ले सकते हैं, जिसमें आसान प्रक्रिया के तहत कम टैक्स देना होता है।

विभाग ने व्यापारियों के लिए एक हेल्पलाइन (1800-425-6300) भी शुरू की है, जहाँ वे अपने नोटिस या GST पंजीकरण से जुड़ी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि GST का दायित्व भुगतान के माध्यम पर नहीं, बल्कि वार्षिक टर्नओवर पर आधारित होता है, इसलिए व्यापारी यदि सीमा पार करते हैं तो उन्हें GST में पंजीकरण करना ही होगा।