बिना धर्मांतरण अंतरधार्मिक विवाह अवैध: इलाहाबाद हाई कोर्ट का सख्त फैसला

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपना धर्म नहीं बदला है, तो वह दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना धर्मांतरण के की गई अंतरधार्मिक शादियां अवैध मानी जाएंगी। यह फैसला उस मामले में सुनाया गया जहां एक मुस्लिम युवक ने एक हिंदू युवती से आर्य समाज मंदिर में शादी करने का दावा किया था, जबकि दोनों में से किसी ने भी धर्म परिवर्तन नहीं किया था।
कोर्ट ने इस शादी को अवैध करार देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि ऐसे सभी आर्य समाज संस्थानों की जांच की जाए जो बिना उचित प्रक्रिया के विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। अदालत ने लखनऊ के पुलिस उपायुक्त (DCP) स्तर के अधिकारी को जांच सौंपते हुए 29 अगस्त तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई आर्य समाज मंदिर फीस लेकर बिना सत्यापन के विवाह प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं, जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि इससे नाबालिग विवाह, धोखाधड़ी और जबरन विवाह जैसे गंभीर अपराधों की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
इस फैसले से साफ हो गया है कि यदि दो लोग अलग-अलग धर्म के हैं और विवाह करना चाहते हैं, तो या तो उन्हें किसी एक का विधिवत धर्मांतरण करना होगा या फिर विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत कानूनी रूप से विवाह करना होगा। कोर्ट के इस निर्णय को सामाजिक और कानूनी दृष्टि से एक अहम कदम माना जा रहा है, जो विवाह की वैधता और धार्मिक प्रक्रियाओं को लेकर स्पष्टता लाता है।