SEBI ने अडानी को Hindenburg के आरोपों पर क्लीन दी चिट

SEBI ने अडानी को Hindenburg के आरोपों पर क्लीन दी चिट

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंदनबर्ग रिसर्च द्वारा अदानी ग्रुप पर लगाए गए गंभीर आरोपों को खारिज करते हुए समूह को क्लीन चिट दे दी। 32 महीनों की लंबी जांच के बाद सेबी के अंतिम आदेश में इनसाइडर ट्रेडिंग, शेयर बाजार हेरफेर और अन्य उल्लंघनों के सभी दावों को निराधार पाया गया। इस फैसले से अदानी ग्रुप के शेयरों में जोरदार उछाल आया, जिससे समूह की मार्केट वैल्यू में करीब 46,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई।

सेबी के दो अंतिम आदेशों में गौतम अदानी, राजेश अदानी, समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह और अन्य प्रमुख अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई। सेबी ने स्पष्ट किया कि हिंदनबर्ग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में लगाए गए आरोप, जैसे स्टॉक मैनिपुलेशन और विदेशी फंडों के माध्यम से बाजार प्रभावित करने के दावे, जांच में सही साबित नहीं हुए। सेबी के एक अधिकारी ने कहा, "जांच में कोई भी उल्लंघन पाया नहीं गया, इसलिए सभी पक्षों को निर्दोष घोषित किया जाता है।"

हिंदनबर्ग रिपोर्ट के जारी होने के बाद अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, जिससे समूह की कुल मार्केट वैल्यू में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की कमी हुई थी। अदानी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% तक लुढ़क गया था। लेकिन सेबी के इस फैसले के बाद शुक्रवार को बाजार खुलते ही अदानी टोटल गैस और अदानी पावर जैसे शेयर 13% तक उछल गए। अदानी पावर में 9% की तेजी देखी गई, जबकि अन्य कंपनियों जैसे अदानी एंटरप्राइजेज और अदानी ग्रीन में भी 5-10% की बढ़ोतरी हुई।

अदानी ग्रुप ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनकी पारदर्शिता और नियामक अनुपालन की पुष्टि करता है। गौतम अदानी ने एक बयान में कहा, "सेबी की जांच ने सभी संदेहों को दूर कर दिया है। हम अपने निवेशकों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे।" इस बीच, हिंदनबर्ग ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला समूह के लिए एक बड़ा राहत है और आगे निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगा।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल ने भी पहले ही सेबी की जांच को सही ठहराया था, लेकिन यह अंतिम क्लीन चिट हिंदनबर्ग मामले को पूरी तरह बंद करने का संकेत देती है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यह फैसला अदानी ग्रुप की वृद्धि को नई गति देगा, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्रों में। हालांकि, कुछ विपक्षी नेता इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन सेबी ने इसे स्वतंत्र जांच का परिणाम बताया है।