यूपी सरकार का बड़ा फैसला: FIR और पुलिस दस्तावेजों से हटेगा जाति का जिक्र

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों पर अमल करते हुए पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक स्थानों से जाति आधारित उल्लेखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। अब FIR, गिरफ्तारी मेमो, चार्जशीट या अन्य पुलिस दस्तावेजों में आरोपी, शिकायतकर्ता या गवाहों की जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा। पहचान के लिए माता-पिता के नाम का इस्तेमाल अनिवार्य होगा।
यह फैसला हाईकोर्ट के 16 सितंबर के ऐतिहासिक फैसले के बाद आया, जिसमें जस्टिस विनोद दीवाकर ने जाति उल्लेख को "कानूनी भ्रम" और "संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ" करार दिया। अदालत ने कहा कि 21वीं सदी में पुलिस द्वारा जाति पर निर्भरता सामाजिक विभेद को बढ़ावा देती है। आदेश में वाहनों पर जाति स्टिकर, सार्वजनिक साइनबोर्ड और जाति-आधारित रैलियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि SC/ST एक्ट जैसे कानूनों में अपवाद रहेगा, जहां जाति उल्लेख जरूरी है। पुलिस स्टेशनों के नोटिस बोर्ड से जाति कॉलम हटाने और CCTNS पोर्टल में संशोधन के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे "राष्ट्रीय एकता" की दिशा में कदम बताया।
यह कदम जातिवाद के खिलाफ लंबे संघर्ष को मजबूत करेगा, लेकिन कार्यान्वयन पर नजर रखी जा रही है।