"लॉ स्टूडेंट्स को अटेंडेंस के आधार पर परीक्षा से नहीं रोका जा सकता" : दिल्ली हाईकोर्ट

"लॉ स्टूडेंट्स को अटेंडेंस के आधार पर परीक्षा से नहीं रोका जा सकता" : दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कानूनी शिक्षा में एक बड़ा बदलाव लाते हुए फैसला सुनाया कि कोई भी लॉ स्टूडेंट न्यूनतम उपस्थिति पूरी न होने के कारण परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया कि वह अटेंडेंस नियमों की समीक्षा कर छात्र-हितैषी संशोधन करे। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का मकसद अवसर देना है, न कि छात्रों को दंडित कर उनके भविष्य बर्बाद करना।

यह फैसला 2016 में एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या से जुड़े मामले पर आधारित है, जहां कम अटेंडेंस के चलते परीक्षा से रोके जाने पर उन्होंने सुसाइड कर लिया था। बेंच ने स्पष्ट किया कि कॉलेजों को प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर विचार करना होगा और कठोर नियम मानसिक दबाव न डालें। सुप्रीम कोर्ट से 2017 में ट्रांसफर हुए इस मामले ने कानूनी शिक्षा में लचीलापन लाने का रास्ता खोल दिया है।