इस पौष माह खत्म में कर लें ये 5 उपाय, सूर्यदेव के आशीर्वाद से धन-धान्य में होगी वृद्धि

इस पौष माह खत्म में कर लें ये 5 उपाय, सूर्यदेव के आशीर्वाद से धन-धान्य में होगी वृद्धि

नई दिल्ली। हिंदू कैलेंडर का पौष माह 16 दिसंबर दिन सोमवार से शुरू हो चुका है। यह हिंदी वर्ष का 10 माह है। इस महीने सूर्य देव की पूजा का विधान है। इस माह में पिंडदान और श्राद्ध कर्म करना भी पितरों के लिए अच्छा माना जाता है। पौष माह में सूर्य देव की गति धीमी होती है, इसलिए खरमास लगता है। अब सवाल है कि आखिर 2024 में पौष माह कब से कब है? पवित्र पौष माह में कौन से उपाय फलदायी हैं? आइए हम आपके इसके बारे में बताते हैं...

1. पंचांग के अनुसार, 16 दिसंबर से पौष महीने की शुरुआत हो चुकी है। इसका समापन 13 जनवरी 2025 को होगा। ये हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना होता है। इस पवित्र महीने में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है. इस महीने में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है। इसलिए सर्दी काफी रहती है। पौष माह में कई व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे, लेकिन इस अवधि में मांगलिक कार्यों नहीं होते हैं।

2. सूर्यदेव की पूजा करें: पौष माह में प्रत्येक दिन सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को जल में लाल फूल, लाल चंदन और अक्षत् डालकर अर्पित करना चाहिए। इस दौरान किसी भी सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से कार्य, पद, प्रतिष्ठा आदि में सफलता एवं वृद्धि होती है।

3. गर्म कपड़े दान करें: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, पौष माह में सर्दी बढ़ती है, ऐसे में आपको गरम कपड़ों, कंबल, गुड़ आदि का दान जरूर करना चाहिए। इस दान पुण्य से आपके सुख और शांति में वृद्धि होगी। साथ ही, सूर्यदेव की कृपा होने लगेगी।

4. खिचड़ी का भोग लगाएं: इस माह में सूर्य देव को तिल और चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं। स्वयं लाल और पीले वस्त्र पहनें। यह रंग सूर्य का प्रिय रंग माना जाता है। इसे भाग्य प्रबल होता है।

5. व्रत में नमक न खाएं :पौष माह में प्रत्येक रविवार का व्रत रखें और सूर्य देव की पूजा करें। इस व्रत में नमक का उपयोग न करें। मीठा भोजन करना चाहिए। इससे आप पर सूर्य देव प्रसन्न रहेंगे और कुंडली में उनका प्रभाव बढ़ेगा। जो आपके भाग्य में वृद्धि करने वाला होगा।

6. नया कार्य शुरू न करें: पंडित जी बताते हैं कि, पौष माह शुभ कार्य के लिए शुभ नहीं होता है। इसलिए इस माह नया कार्य अगले माह के लिए टाल दें। खरमास के समय में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।