वार्ता के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन आगे आएं: सीएम

वार्ता के लिए छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन आगे आएं: सीएम

हैदराबाद में बैठे माओवादियों के आकाओं के इशारे पर बातचीत नहीं 
रायपुर (चैनल इंडिया)। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि हैदराबाद में बैठे माओवादियों के आकाओं के इशारे पर बातचीत नहीं हो सकती। उनके निर्देश पर केंद्र और राज्य सरकार शांतिवार्ता नहीं कर सकते। इसके लिये छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन को आगे आने होगा। नक्सलियों को लेकर देश में सबसे बेहतर छत्तीसगढ़ की नक्सल पुनर्वास नीति है। 

गृहमंत्री विजय शर्मा के साथ पत्रवार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल आंदोलन की रीढ़ कहे जाने वाले माओवादियों का महासचिव बसव राजू मारा गया। उसकी गिनती माओवादियों के शीर्ष नेता के रूप में होती थी। उस पर सवा तीन करोड़ का इनाम घोषित था। तीन दशकों में पहली बार जनरल सेक्रेटरी रैंक का कोई माओवादी मारा गया है। यह जवानों की बहुत बड़ी सफलता है। इससे नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। नक्सलियों की कमर टूटी है। इसके लिए सुरक्षा बल के जवानों की बधाई देता हूं। हमें उन पर गर्व है अपने जवानों पर। 

उन्होंने कहा कि नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार बेहतर काम कर रही है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को रोजगार के लिये प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उनके बच्चों को एजुकेशन दिया जा रहा है। नौकरी देने का भी काम किया जा रहा है। कोई इनामी नक्सली अगर सरेंडर करता है तो उसे शहरी क्षेत्र में चार डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में एक हेक्टर डिसमिल जमीन देने का प्रावधान है। 

गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि नक्सली बस्तर में आम लोगों की जान से खेल रहे हैं। वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा हैं हैं। वो गाडिय़ों में, बसों में आग लगा रहे हैं। स्कूल, कॉलेजों के भवनों को विस्फोट कर उड़ाने वाले बस्तर में विकास को नहीं पहुंचने दे रहे हैं। वह लोग जो हैदराबाद में व्यक्तिगत या ग्रुप में बैठकर सरकारों को निर्देशित करते हैं कि केंद्र और राज्य की सरकारों को ये-ये करना चाहिए। ऐसे लोगों से कोई चर्चा बातचीत कभी नहीं हो सकती। वे बस्तर के विकास के लिए कभी नहीं खड़े हो सकते। माओवादी चाहे तो सरकार से बात करें। 

सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को पीछे छोड़ साय एक साल में 31 बार गए बस्तर
बस्तर क्षेत्र की जनता से जुड़ाव और विकास के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने पहले एक साल के कार्यकाल में जो सक्रियता दिखाई है, उसने पिछले सभी मुख्यमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया है। बस्तर दौरे की संख्या में विष्णुदेव साय ने अब तक के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एक साल में ही 31 दौरे किए हैं, जबकि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री इतने कम समय में इतने बार बस्तर नहीं पहुंच पाए. इस पहल ने न केवल क्षेत्रीय विकास को गति दी है, बल्कि बस्तर के लोगों के साथ मुख्यमंत्री के गहरे संपर्क को भी दर्शाया है।