क्या फट जाएगी पृथ्वी? समुद्र में समा जाएंगे ये देश, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

नई दिल्ली। पृथ्वी के अंदर लगातार हो रहे बदलाव ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। यह बदलाव इंसानों के लिए भले ही लाखों करोड़ों सालों में हो, लेकिन प्रकृति के लिए यह बदलाव तूफान की रफ्तार से हो रहे हैं। नए अध्ययन में बेहद चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि अफ्रीका में एक बड़ी दरार लगातार बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिकों काकहना है कि पृथ्वी के सतह के नीचे काफी तेजी से गहरे बदलाव होते जा रहे हैं। टेटोनिक फोर्स तेज रफ्तार से जमीन को एक नया आकार दे रही हैं, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। इस बदलाव का नतीजा यह है कि धरती पर एक नए महासागर का निर्माण हो सकता है। वैज्ञानिकों ने खोज की है कि अफ्रीका के फटने सेदुनिया में एक नया महासागर बनेगा। पृथ्वी के अंदर हो रहे इस बदलाव पर वैज्ञानिक बारीकी से नजर रख रहे हैं।इसके अलावा भी हमारे पैरों के नीचे या बदलवा हो रहे हैं, वैज्ञानिक उसका पता लगाने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों मानते हैं कि अफ्रीका महाद्वीप पूरी तरह से टूट ने बाद नए महासागर का निर्माण होगा। इससे पृथ्वी का नशा हमेशा के लिए बदल जाएगा। दुनिया का भविष्य बदल जाएगा, जिसके असर काफी गहरे होंगे। वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पता लगाया कि अफ्रीका महाद्वीप एक भारी परिवर्तन से गुजर रहा है। इसके साथी ही टेटोनिक फोर्स एक नये महासागर का निर्माण कर रही हैं। मोजाम्बिक से लाल सागर तक फैला एक विशाल नेटवर्क, पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली से पृथ्वी पर एक नया बदलाव हो रहा है। पहले इस प्रक्रिया को पूरा होने में करोड़ों साल लगने वाले थे, लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले
10 लाख सालों या उससे भी कम समय में अफ्रीका पूरी तरह से दो भागों में बंट सकता है।
अफ्रीकी और सोमाली टेटोनिक प्लेटें 0.8 सेंटीमीटर की दर से हर साल अलग हो रही है। इसके कारण पूर्वी अफ्रीका की जमीन कमजोर होती जा रही है, जिससे दरारें बन रही हैं। वैज्ञानिकों ने बताया है कि इथियोपिया के अफार इलाके में 60 किलोमीटर लंबी और 10 मीटर गहरी दरार बन चुकी है। आने वाले समय में यह दरार पूरे अफ्रीका को दो भागों में बांट सकती है, जिससे एक नए महासागर का निर्माण हो सकता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह प्रक्रिया पूरी होने पर अफ्रीका का नशा बदल जाएगा। पूर्वी अफ्रीका का एक बड़ा इलाका मुख्य महाद्वीप से अलग हो जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस दरार से एक नए महासागर का निर्माण होगा। इससे पूर्वी अफ्रीका के कुछ इलाके मुख्य अफ्रीका से अलग हो जाएंगे और समुद्र का जलस्तर भी बदल सकता है। इसके कारण जांबिया और युगांडा जैसे कुछ देश समुद्र से जुड़ जाएंगे।