कूड़े में छिपी मिली दादा की करोड़ों की संपत्ति, मालिकाना हक़ को लेकर अब पिता-पुत्र का हाईकोर्ट में मुकाबला

कूड़े में छिपी मिली दादा की करोड़ों की संपत्ति, मालिकाना हक़ को लेकर अब पिता-पुत्र का हाईकोर्ट में मुकाबला

ऊना (गुजरात)। गुजरात के ऊना जिले में एक साधारण परिवार की जिंदगी रातोंरात उलट गई, जब दादा के पुराने घर की सफाई के दौरान कूड़ेदान से 2.5 करोड़ रुपये के शेयर सर्टिफिकेट बरामद हुए। जीवन भर मेहनत-मजदूरी करने वाले बेटे को यह खुशी तो मिली, लेकिन साथ ही परिवार में विरासत को लेकर पिता-पुत्र के बीच तीखा विवाद भी खड़ा हो गया। दादा ने घर तो पोते के नाम कर दिया था, लेकिन अब शेयरों का मालिकाना हक हाईकोर्ट में तय होगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऊना में रहने वाले सावजी पटेल लंबे समय से दीव के एक होटल में वेटर का काम करते थे। होटल बनने से पहले वे मालिक के बंगले में हाउसकीपर थे, जबकि उनके पिता खेतीबाड़ी से जुड़े थे और ऊना में उनका अपना घर था। रिटायरमेंट के बाद सावजी परिवार के साथ होटल परिसर में बने घर में बस गया। उनका बेटा दीव में नौकरी करता था, और पूरा परिवार कड़ी मेहनत से गुजारा चला रहा था।

इसी बीच, सावजी पटेल का निधन हो गया। बेटा और पोता ऊना के पुराने पैतृक घर की सफाई के लिए पहुंचे, तो कूड़ेदान में पुराने कागजों के ढेर से शेयर सर्टिफिकेट निकले। पोते ने इनकी जांच की, तो हर कंपनी के बाजार भाव जोड़ने पर कुल मूल्य 2.5 करोड़ रुपये आंका गया। पता चला कि दादा ने कभी निवेश किया था, जो अब सोने जैसा साबित हो गया।

खुशी का यह पल जल्द ही विवाद में बदल गया। दादा ने घर का मालिकाना हक पोते के नाम दर्ज करा दिया था, लेकिन बेटे (सावजी के बेटे) का दावा है कि वह अपने पिता की सीधी विरासत का हकदार है। उसने शेयर सर्टिफिकेट पर अपना अधिकार जताया, लेकिन पोते ने साफ इनकार कर दिया। पोते का तर्क है कि चूंकि सर्टिफिकेट उसी घर से मिले, जो उसके नाम पर है, इसलिए वे उसकी संपत्ति हैं।

इस विवाद को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। पिता की दलील है कि विरासत का कानूनी हक सीधे बेटे को मिलना चाहिए, जबकि पोता घर के दस्तावेजों का हवाला दे रहा है। कोर्ट में सुनवाई नवंबर 2025 में होगी, जहां फैसले के बाद तय होगा कि करोड़पति कौन बनेगा। यह अनोखी कहानी न केवल भाग्य की मिसाल है, बल्कि परिवारिक विरासत के जटिल सवालों को भी उजागर करती है।