सज्जनों का संग ही उत्तम विद्या है : इंदुभवानंद तीर्थ महाराज

सज्जनों का संग ही उत्तम विद्या है : इंदुभवानंद तीर्थ महाराज

रायपुर। शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में चल रहे चातुर्मास प्रवचन माला की श्रृंखला को विस्तार देते हुए शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ.स्वामी इंदुभवानंद तीर्थ  ने बताया कि सज्जनों का संग ही सबसे बड़ा धन है। विद्वानों को और बुद्धिमानों को सदा सर्वदा सज्जनों का संग करना चाहिए। सज्जनों के संग से व्यक्ति में सद्गुणों का विकास होता है तथा दुर्गुण अपने आप दूर हो जाते है। इसलिए सज्जनों के संग को ही सबसे उत्तम धन माना जाता है। सत्संग से ही शनैःशनैः  गुणों का विकास होता है। संसार के भी जितने दोष हैं सब के सब दोष सज्जनों के संसर्ग से दूर हो जाते है इसलिए सज्जनों के संग को संसार रूपी रोग की औषधि भी माना जाता है। कथा वक्ता महाराज जी ने कुबेर गुणनिधि के प्रसंग को विस्तार देते हुए बताया कि कुबेर गुणनिधि के नाम से प्रसिद्ध था और महान पापी था, उसकी माता उसके पाप को अपने बाप से अर्थात अपने पति से छुपा लेती थी। वैवाहिक संबंध होने के पश्चात माता ने उसको समझाया की कि तुम्हारे पिता की प्रतिष्ठा समाज में सदाचार के द्वारा ही है। सदाचार ही व्यक्ति का धन होता है इसलिए तुम विद्या और सदाचार को अपना लक्ष्य बनाकर के प्राप्त करने की कोशिश करो अतः तुमको दुष्ट संगति का सर्वथा परित्याग करना  चाहिए तथा साधुओं की संगति में तत्पर होना चाहिए। तुम्हारा जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है अतः तुमको ब्राह्मणोचित कर्म ही करना चाहिए तुम्हें अपने पिता के अनुरूप बनना चाहि यश, कुल और शील से भी उनका अनुकरण करना चाहिए।

कथा शंकराचार्य आश्रम के वैदिक विद्वान गणों ने भगवान शिव का रुद्राभिषेक आरती संपन्न कराई तथा जगद्गुरुकुल के छात्रों ने वैदिक एवं पौराणिक मंगलाचरण संपन्न किया पश्चात स्वामी जी ने शिव कथा पर प्रकाश डाला।