मंगल के देवता है शिव : इंदुभवानंद महाराज

मंगल के देवता है शिव : इंदुभवानंद  महाराज

रायपुर। श्री शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में चातुर्मास प्रवचन माला के क्रम को गति देते हुए शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इंदुभवानंद  तीर्थ जी महाराज ने बताया कि भगवान शंकर मंगल के देवता हैं भगवान शिव सदा सर्वदा जीव का कल्याण करते हैं वस्तुतः समस्त  अमंगल साज धारण करने के बाद भी मंगल के देवता माने जाते हैं।  परस्पर विरुद्ध गुणों के आश्रय एवं अधिष्ठान होना ही परब्रह्म परमात्मा की प्रतिष्ठा है, क्योंकि परमब्रह्म परमात्मा में परस्पर विरूद्ध धर्मों का एकाधिकरण होता है। पुष्पदन्ताचार्य  जी महिम्न स्तोत्र में भगवान शिव की स्तुति करते हुए कहते हैं कि आप श्मशान में वास करते हैं, पिशाचों के साथ रहते हैं, शरीर में भस्म लगाते हैं हाथ में कपाल धारण करते हैं समस्त अमंगल वेष को धारण करने के बाद भी जो आपका नाम का स्मरण करता है उसका सदा सर्वदा आप मंगल करते हैंअतः सारा संसार आपका शिव नाम से यजन करता है।

उन्होंने नाग पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की श्रावण शुक्ल पंचमी को नागों का पूजन करना चाहिए, नाग के पूजन करने से शिव के पूजन का भी पुण्य प्राप्त हो जाता है। जो सावन के मास में नागों का पूजन करता है उसकी सात पीढ़ी आने वाली सर्पविष से मुक्त हो जाती हैं, तथा किसी भी अन्य प्रकार के विष से उसके कुल में मृत्यु नहीं होती है,एवं सात पीढ़ी पिछली पितृदोष कालसर्पदोष से भी मुक्त हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष व्यक्ति की उन्नति में बाधक होता है उसकी भी मुक्ति नाग पंचमी के दिन नाग पूजन से भी हो जाती है।

कथा के पूर्व शंकराचार्य आश्रम के वैदिक विद्वानों एवं जगद्गुरुकुल  के छात्र तथा शंकराचार्य आश्रम के भक्तों ने मिलकर भगवान शिव की आरती की।