इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला: सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला: सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और सहमति से बने शारीरिक संबंधों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शनिवार, 13 सितंबर 2025 को जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई महिला शुरू से यह जानती है कि सामाजिक, पारिवारिक या अन्य कारणों से शादी संभव नहीं है, और फिर भी वह वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

मामला एक याचिका से संबंधित था, जिसमें एक व्यक्ति पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि दोनों पक्षों के बीच प्रेम संबंध थे और संबंध सहमति से बने थे। कोर्ट ने पाया कि महिला को शुरू से ही शादी की असंभावना की जानकारी थी, और उसने कई वर्षों तक स्वेच्छा से संबंध बनाए रखे। कोर्ट ने कहा, "ऐसे मामलों में सहमति को धोखाधड़ी या गलत बयानी से प्रभावित नहीं माना जा सकता।"

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्येक मामले की परिस्थितियों को अलग-अलग देखा जाना चाहिए, लेकिन सहमति से बने संबंधों को दुष्कर्म के दायरे में लाने से पहले तथ्यों की गहन जांच जरूरी है। इस फैसले को कानूनी और सामाजिक हलकों में व्यापक चर्चा का विषय माना जा रहा है, क्योंकि यह प्रेम संबंधों और कानूनी जवाबदेही के बीच जटिल रिश्ते को रेखांकित करता है।