आमामोरा ओंढ मार्ग को पूर्ण करने जनप्रतिनिधियों ने सौंपा ज्ञापन

गरियाबंद से विजय साहू की रिपोर्ट
गरियाबंद। लंबे अरसे बाद गरियाबंद जिले के अति संवेदनशील क्षेत्र एवं विशेष पिछड़ी जनजाति बसाहट वाले ग्राम आमामोरा ओंढ तक पहुंचने नेशनल हाइवे 130 सी से पीएमजीएसवाई द्वारा पक्की सड़क बनाई जा रही थी जिसे पर्यावरणीय व्यवधानों के चलते रोक लगा दी गई है। सड़क निर्माण में रोक लगाने पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने कलेक्टर व उपनिदेशक उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व को ज्ञापन सौंपकर जल्द ही इस कार्य को पुनः प्रारंभ करने की मांग की। गत दिनों जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम व लोकेश्वरी नेताम के साथ आमामोरा ओंढ के पंचायत प्रतिनिधि व ग्रामीणों ने पूरा विवरण कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने आवेदन में बताया कि उक्त निर्माणाधीन कार्य को विगत दिनों पर्यावरणीय नुकसान की आशंकाओं के चलते रोक लगा दी गई है। वर्ष 2007 से इस मार्ग के निर्माण की मांग की जा रही थी जिसके लिए 24 बार निविदा आमंत्रित की गई जो अब जाकर प्रारंभ हुई है यह मार्ग पांच चरणों में बनना प्रस्तावित है जिसका आधे से ज्यादा कार्य हो चुका है तथा जिस मार्ग पर पूर्व से आवाजाही होती थी उतनी ही चौड़ी सड़क बनाई जा रही जिसमें किसी भी प्रकार से वन्य क्षेत्र को नुकसान नहीं हो रहा है। उक्त मार्ग की लम्बाई 31 किमी है जिसमें बीच के 15 किमी सड़क में सीसी रोड निर्माण हो चुका है। साथ ही नेशनल हाइवे से आमामोरा तक बन चुके गिट्टी सड़क पर मात्र कोलतार का आवरण बाकी है। ऐसे में पर्यावरणीय नुकसान न के बराबर है। मार्ग न होने के कारण उन गाँवों में स्वीकृति निर्माण कार्य भी अधूरे पड़े हैं क्योंकि मार्ग के अभाव में निर्माण सामग्री का परिवहन नहीं हो पाता। सड़क के अभाव में वहाँ कार्यरत कर्मचारियों (स्वास्थ्यकर्मी, शिक्षक) को भी आने जाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं भी हैं इस मार्ग के बनने से पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा। इस मार्ग पर अनेक बार नक्सली घटनाएं भी घटित हो चुकी है जिसमें एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी सहित 11 जवानों की शहादत भी हो चुकी है। ऐसे में यह अत्यंत संवेदनशील मामला है तथा आसपास दो तीन सीआरपीएफ कैम्प भी ओंढ, छिंदौला, धवलपुर में स्थित है। जहाँ जवानों की आवाजाही निरंतर होती रहती है। इस मार्ग के बनने से उन्हें भी सुविधाएं प्राप्त होंगी। इस मार्ग के बनने से होने वाले लाभान्वित ग्रामों में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी विशेष पिछड़ी जनजाति कमार व भुंजिया की है। इन विशेष पिछड़ी जनजाति समूह को शासन द्वारा आजकल अनेक सुविधाएं प्रदान की जारी है जिसमें पीएम जनमन, धरती आबा जनजाति उत्कर्ष योजनाओं के साथ पक्की सड़क भी शामिल है। ऐसे में शासन की मंशा और प्रशासन के कार्य में स्पष्ट विरोधाभास प्रतीत हो रहा है। यदि रोक लगाया जाना था तो मार्ग निर्माण के समय ही लगा देना था जिससे व्यय हो चुके संसाधन की भी बचत होती, इसके अलावा मार्ग में बन रहा पुलिया भी अब अधूरा हो गया है जिससे अनेक दुर्घटनाओं की भी आशंका है, इससे अच्छा तो पूर्व में बिना पुलिया के ही आवागमन हो रहा था। लंबे अरसे तक किए गए संघर्ष के बाद यह मार्ग निर्माण शुरू हुई थी, इस मार्ग के निर्माण की प्रारंभिक प्रक्रिया जब प्रारंभ हुई तब अनुमति संबंधित कार्यवाही क्यों नहीं की गई । अब जबकि 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है तब मार्ग निर्माण क्यों बंद की गई । यह मार्ग ग्राम पंचायत दबनाई, आमामोरा और ओंढ पंचायत के निवासियों के लिए किसी सपने से कम नहीं थी जोकि एकमात्र मार्ग वहाँ के निवासियों के लिए थी लेकिन अब विभाग की कार्रवाई बाद वहाँ निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के लोगों का सपना चूर होता दिख रहा है। इन सभी बिंदुओं को दृष्टिगत रखते हुए मानवीय दृष्टिकोण तथा उस क्षेत्र के निवासियों की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए राजस्व विभाग, सामान्य वनमंडल तथा उदंति सीतानदी टाईगर रिजर्व के प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित कर आमामोरा मार्ग के निर्माण हेतु सकारात्मक कार्यवाही व पहल करें। उपस्थित प्रतिनिधियों ने एक माह के भीतर सकारात्मक कार्रवाई नहीं होने की दशा में क्षेत्र के ग्राम पंचायत आमामोरा,ओंढ व दबनई में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति समाज के लोगों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 सी में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने की बात भी कही है।