13 नवंबर को जगन्नाथ मंदिर में भगवान शालीग्राम के साथ तुलसी का होगा शुभ विवाह : ईश्वर खंबारी

13 नवंबर को जगन्नाथ मंदिर में भगवान शालीग्राम के साथ तुलसी का होगा शुभ विवाह :  ईश्वर खंबारी

जगदलपुर से कृष्णा झा की रिपोर्ट

जगदलपुर। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व के परायण के बाद 17 जुलाई 2024 काे  देवशयनी एकादशी पूजा विधान के बाद सभी मांगलिक कार्याें पर विराम लग गया था। आज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के श्रीशुभ दिवस पर विधिवत श्रीविष्णु स्वरूप भगवान जगन्नाथ स्वामी का पूजा अनुष्ठान संपन्न कर आज मंगलवार देवउठनी एकादशी तिथि के बाद सभी मांगलिक कार्य यथा जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, विवाह किये जा सकेंगे। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बुधवार 13 नवंबर को श्रीजगन्नाथ मंदिर में 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा भगवान शालीग्राम के साथ श्रीशुभ तुलसी विवाह संपन्न किया जाएगा।

ईश्वर खंबारी ने बताया कि परंपरानुसार प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के सदस्यों की उपस्थिति में बुधवार  13 नवंबर को सुबह से ही की समस्त रस्म के निर्वहन के साथ देर शाम शुभ मुहर्त में भगवान शालीग्राम का श्रीशुभ तुलसी विवाह संपन्न किया जायेगा। तय कार्यक्रम के अनुसार वर पक्ष एवं वधू पक्ष की ओर से 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के सदस्यों द्वारा भगवान शालीग्राम का श्रीशुभ तुलसी विवाह के सभी रस्मों का निर्वहन किया जायेगा। परंपरानुसार भगवान शालीग्राम की बरात श्रीजगन्नाथ मंदिर से डोली-पालकी में निकाली जाकर रथ परिक्रमा स्थल गोलबाजार चौक, दंतेश्वरी मंदिर चौक से होकर वापस जगन्नाथ मंदिर पंहुचकर परंपरानुसार पाणिग्रहण संपन्न होगा, इस शुभ अवसर पर समस्त श्रृद्धालु भगवान शालीग्राम-श्रीशुभ तुलसी के विवाह में शामिल होकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।

उन्होंने बताया कि देव उठनी एकादशी के पावन अवसर पर आज मंगलवार 12 नवंबर को रियासत कालीन श्रीजगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने दीपाराधना के साथ ही गन्ने व कंद का अर्पण किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं और सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालते हैं। इसी के साथ भगवान विष्णु का क्षीर सागर में शयनकाल समाप्त होता है।