तीसरी बार बदलेगा श्रीराम वनगमन पथ!

Shri Ram Vanagaman Path

तीसरी बार बदलेगा श्रीराम वनगमन पथ!

रायपुर (चैनल इंडिया)। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राम वन गमन पथ बदलने जा रहा है। यह तीसरी बार है जब राम वनगमन का नक्शा बदला जा रहा है। यह नक्शा तब बदला जा रहा है, जब इस पथ पर 81 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। रामपथ के निर्माण का जिम्मा पर्यटन विभाग के पास है। विभाग ने राष्ट्रीय और स्थानीय शोधकर्ताओं से नए सिरे जानकारी जुटाई है। इसमें उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन पर अधिकांश विद्वानों की सहमति होगी।

भाजपा नेता कहते हैं कि कांग्रेस सरकार ने पैसा कमाने के लिए अपने हिसाब से मार्ग तय किया था। राम वन गमन पथ मार्ग सही बने, इसलिए भाजपा शासन में समिति की ओर से किए गए सर्वे के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा।  यहां पर राम वन गमन पथ पर एक बार फिर बदलाव होने जा रहा है। यह तीसरा मोका है जब कि राम वनगमन पथ कानक्शा बदला जा रहा है। पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राम वन गमन पथ का नक्शा तैयार कराया था। अब विष्णु सरकार फिर से राम वन गमन पथ का नक्शा बदलने जा रही है। इसका जिम्मा पर्यटन विभाग को सौंपा गया है। पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय और स्थानीय शोधकर्ता और विद्वानों से नए सिरे से जानकारी जुटाई है। अब इस जानकारी के हिसाब से उन स्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन पर अधिकांश विद्वानों की सहमति होगी।

पर्यटन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि शोधकर्ताओं और स्थानीय विद्वानों द्वारा श्रीराम वन गमन पथ से जुड़े स्थानों पर व्यापक शोध किया गया है। जिन स्थानों को कामन प्लेस के रूप में पहचाना गया है उनको आधार बनाकर सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। वहीं पहले से स्वीकृत पड़े अधूरे कामों को प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा।

शोध से यह तथ्य सामने आया है कि प्रभु राम पहली बार कोरिया जिले के सीतामढ़ी हटवोका पहुंचे थे। इसके बाद कोटा, बस्तर तक करीब 1100 किमी की यात्रा की। चंदखुरी भी रामायण से छत्तीसगढ़ को सीधे जोडता है। रामायण में चंदखुरी का जिक्र मिलता है। तब इसका नाम चंद्रखुटी हुआ करता था, जो बाद में चंदखुरी हो गया। रामायण के मुताबिक कौशल के राजा भानुमत की पुत्री का नाग भानुमति था। उनका विवाह राजा दशरथ से हुआ। कौशल क्षेत्र की राजकुमारी होनी की वजह से उनका नाम कौशल्या पड़ा।