'स्तन पकड़ना रेप का मामला नहीं...', SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, सरकार को भेजा नोटिस

'स्तन पकड़ना रेप का मामला नहीं...', SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस विवादास्पद फैसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जिस फैसले में कहा गया था कि केवल स्तन पकड़ना बलात्कार का अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे’ का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उसे यह कहते हुए तकलीफ हो रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश में की गईं कुछ टिप्पणियां पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण वाली हैं। फैसला लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की कमी दिखी। फैसला तत्काल नहीं लिया गया था, बल्कि फैसला सुरक्षित रखने के 4 महीने बाद सुनाया गया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज के लिए कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद है, लेकिन यह एक गंभीर मामला है और जज ने यह आदेश क्षणिक आवेश में नहीं दिया। लाइव लॉ ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के हवाले से कहा, "चूंकि पैरा 24, 25, 26 में की गई टिप्पणियां कानून के मुताबिक मान्य नहीं हैं और असंवेदनशीलता को दर्शाती हैं, इसलिए हम इस पर रोक लगाने के पक्ष में हैं। हम केंद्र, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी करते हैं।

पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश से संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई कार्यवाही में केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को अपने एक आदेश में कहा था कि महज स्तन पकड़ना और ‘पायजामे’ का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता लेकिन इस तरह के अपराध किसी भी महिला के खिलाफ हमले या आपराधिक बल के इस्तेमाल के दायरे में आते हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर दिया था। इन आरोपियों ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।