बाल विवाह रोकने के जिला प्रशासन ने उठाया कदम, गांवों में जाकर जागरूक कर रहे है टीम

बाल विवाह रोकने के जिला प्रशासन ने उठाया कदम, गांवों में जाकर जागरूक कर रहे है टीम

गुण्डरदेही से स्वप्ना माधवानी की रिपोर्ट 

गुण्डरदेही। कलेक्टर के निर्देशानुसार एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग मार्गदर्शन में विकासखंड में बाल विवाह की रोकथाम का अभियान लगातार संचालित किया जा रहा है। इसके तहत विगत दिनों विकासखंड के चैनगंज सामुदायिक भवन में मितानिनों को बाल विवाह रोकथाम हेतु शिविर का आयोजन लगाकर बाल विवाह रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान शिविर लगाकर पंचायत राज संस्थानों व नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों, समाज प्रमुखों, स्वयंसेवी संगठनों, महिला समूहों, युवा संगठनों, शासकीय विभागों, गौर शासकीय संस्थाओं और आमजनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित किया गया। 

 इस अवसर पर नायब तहसीलदार बी रूद्रपति ने कहा कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक कुप्रथा नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरा है. छोटी उम्र में विवाह होने से शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। लड़कियों में कुपोषण, रक्त की कमी और जटिल प्रसव संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। बच्चों की शिक्षा बाधित होती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने से वंचित रह जाते हैं। इन्होने नागरिकों से अपील की है कि बच्चों के कुपोषण, शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लड़कियों का विवाह 18 वर्ष के बाद और लड़कों का विवाह 21 वर्ष के बाद करें। बाल विवाह करवाने, इसमें शामिल होने वाले, गाने-बजाने वाले, वैवाहिक अनुष्ठानकर्ता और बैण्ड पार्टियों टेन्ट वालों सहित अन्य संबंधित व्यक्तियों को 2 वर्ष सजा और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने से दण्डित किए जाने का प्रावधान बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत है।

 एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी खिलेश्वरी नाग ने कहा कि बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ की अवधारणा को साकार करने के लिए प्रदेश में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान चलाया जा रहा है। 18 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र में लड़कों का विवाह बाल विवाह है। अप्रैल मई में बहुतायत में शादी होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण अपने नाबालिग बच्चों की शादी करा देते हैं। इसे देखते हुए प्रशासन पहले से सक्रिय हो गया है। गांव गांव में आमसभा कर लोगों को बाल विवाह नहीं कराने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। विकासखंड में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके तहत ग्राम सभाओं, स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है। बाल विवाह ना कराने और आसपास में होने वाले बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने शपथ दिलाई जा रही है। गांवों में बाल विवाह को कड़ाई से रोकने पंचायतों को जिम्मेदारी दी गई है।