गुरु ही ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी है : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मूर्ति का अनावरण
रायपुर (चैनल इंडिया)। शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला में गुरुवार को जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की मूर्ति अनावरण हुआ। साथ ही गुरू मंडप का लोकार्पण किया गया। मूर्ति अनावरण और लोकार्पण कार्यक्रम द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज, ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज एवं ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद महाराज सचिव उभय पीठ की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर रायपुर आश्रम प्रमुख डॉ. इंदुभवानंद महाराज सहित समस्त गुरु परिवार एवं भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थित रही।
धर्म सभा में ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गुरु सदैव अपने शिष्यों का ध्यान रखते हैं और इसीलिए वे हमारे बीच पुन: यहां विराजित हुए हैं। मंदिर में स्थापित मां की मूर्ति गुरुरुपणी है,भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। अब यदि आप मां के समक्ष अपनी कोई बात नहीं रख सकते तो यहां विराजित गुरु महाराज के समक्ष अपनी बात बगैर झिझक के रख सकते हो। गुरु महाराज ने जब यहां पर मंदिर की स्थापना की थी। मां मूर्ति की स्थापना की थी, उसके बाद भी वे आते थे क्योंकि हम जब एक वृक्ष को लगाते हैं तो उसे खाद, पानी, उसकी देखेरेख सभी चीजों की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार अब आप भी यहां स्थापित गुरु मंडप और गुरुदेव की प्रतिमा का विशेष ध्यान रखते हुए भक्ति में लीन हो जाएं।
शंकराचार्य महाराज ने कहा कि गुरु ही ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी है। गुरु ईश्वर से हमारी भेंट कर देता है। जैसे-जैसे गुरु हमें ईश्वर की ओर लेकर जाने लग जाता है धीरे-धीरे उनको भी समझ आ जाता है कि जिसकी ओर लेकर जा रहा है वह यहीं है। जैसे शिष्य जब बच्चा हो तो वह गुरु को गुरु ही समझेगा लेकिन जैसे-जैसे उसको पहचानना शुरू करेगा वैसे-वैसे गुरु के रूप में उसे ईश्वर का आभास होगा, ईश्वर का साक्षात्कार होगा। कई लोग कहते हैं, हमें गुरु मिले लेकिन ईश्वर का साक्षात्कार नहीं हुआ, हो भी नहीं सकता क्योंकि भगवान अलग से नहीं आते हैं। भगवान बड़े कृपालु और दयालु हैं। वे कितने बड़े दयालु और कृपालु हैं उसका पता इसी बात से चलता है कि जिसको दर्शन देना चाहते हैं उसके सामने गुरु का रूप धारण कर आते हैं।
उन्होंने कहा कि गुरु महाराज पुन: मां प्रेमाम्बा से साक्षात्कार कराने हमारे बीच आए हैं। गुरु महाराज का दर्शन गुरु मंदिर में होगा। आज जब गुरु महाराज सबके समक्ष आए तो सभी भक्तों ने अपनी भावनाएं भी प्रकट कर दी है। अब आप चाहे मंदिर में देवी के रूप में दर्शन करो या गुरु के साक्षात दर्शन करो,जो बात मां को नहीं कह सकते अब सीधे गुरु महाराज के समक्ष अपनी बात रखें। गुरु महाराज के माध्यम से आपकी बात मां के समक्ष पहुंच जाएगी।