गुरुकुल में ही धर्म की सच्ची शिक्षा मिलती है : डॉ.स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ जी महाराज

गुरुकुल में ही धर्म की सच्ची शिक्षा मिलती है : डॉ.स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ जी महाराज

इन्दुभवानन्द तीर्थ महाराज ने बताया कि वस्तुत: गुरुकुल में ही धर्म की सच्ची शिक्षा प्राप्त होती है
रायपुर (चैनल इंडिया)। खमतराई में चल रही श्री मद् भागवत की दिव्य अमृतमयी कथा को विस्तार देते हुए कृष्ण सुदामा चरित्र के प्रसंग में शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी डॉ. स्वामी इन्दुभवानन्द तीर्थ महाराज ने बताया कि वस्तुत: गुरुकुल में ही धर्म की सच्ची शिक्षा प्राप्त होती है। माता-पिता तो केवल जन्म देते हैं तथा व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करते हैं किंतु गुरु महाराज ही धर्म की वास्तविक शिक्षा का दान करते हैं, और वह भी केवल गुरुकुल में ही प्राप्त होती है। गुरुकुल की परंपरा अत्यंत प्राचीन काल से भारत देश में रही है यही कारण  कि आज भी भारत देश आध्यात्मिक एवं धर्म प्राण देश  है। भगवान श्री कृष्ण ने जो स्वयं समस्त कला और ज्ञान के निधान होते हुए भी गुरुकुल में रहकर गुरु एवं आश्रम की सेवा करते हुए विद्याध्ययन किया। वास्तव में सेवा से ही विद्या की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण वा सुदामा ने गुरु महाराज की सेवा कर एवं गुरुकुल में निवास करके यह सिद्ध कर दिया कि विद्या सेवा से ही प्राप्त होती है। 

उपर्युक्त बातें भगवान श्री कृष्ण ने  सुदामा श्री कृष्ण मित्र मिलन प्रसंग में कहीं। सुदामा जी ने कहा की मित्र कृष्ण मैंने जब आपके साथ गुरुकुल में वास कर लिया तो अब मेरे लिए बाकी क्या रह गया ? आपका तो शरीर ही वेद है। फिर भी आप वेदाध्ययन के लिए गुरुकुल में वास करते हैं, यह आश्चर्य की बात नहीं है तो और क्या है? तत्पश्चात सुधि वक्ता ने अन्यान्य प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए परीक्षित मोक्ष की कथा को विस्तार देते हुए बताया कि मृत्यु के भय से मुक्त करने वाली एकमात्र भगवान की ही कथा है इसके सुनने से व्यक्ति अपने मूल स्वरूप को प्राप्त कर लेता है।

कथा के पूर्व यजमान सुदर्शन साहू पार्षद गज्जू साहू गोदावरी मान बाई साहू निरंजन साहू मेनका साहू तथा परिवार के अन्य सदस्यों ने भागवत भगवान की पोथी का पूजन करके आरती संपन्न की।