विश्व आदिवासी दिवस पर सुरूंगदोह में हुई रैली,हजारों आदिवासी जुटे

विश्व आदिवासी दिवस पर सुरूंगदोह में हुई रैली,हजारों आदिवासी जुटे

उप तहसील कोडेकुर्से पहुंचकर सौंपा ज्ञापन

दुर्गूकोंदल। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित विश्व आदिवासी - मूलनिवासी दिवस पर ग्राम- सुरूंगदोह के खेल मैदान में ब्लाक स्तरीय रैली हुई,जिसमें ब्लाक भर के हजारों की संख्या में आदिवासी शामिल हुए। इस दौरान दुर्गूकोंदल क्षेत्र के विभिन्न गाँवों में सुबह से ही कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहा। आदिवासियों ने ध्वज व पुरखों की पूजन करने के बाद दुर्गूकोंदल में रैली निकाल शहीद वीरनारायण सिंह व शहीद गूँडाधूर चौक पहुँचकर विधिवत पूजा-अर्चना की।आदिवासी दिवस पर आदिवासियों की संस्कृति के कई रंग देखने को मिले। युवा, बच्चे व महिलाएँ पारंपरिक पोशाक में नजर आए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक सावित्री मंडावी थीं। सुरूंगदोह में रैली को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति,रीति-नीति, बोली-भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। डॉ. बाबा साहब आँबेडकर जी ने संविधान में आदिवासियों को कई अधिकार प्रदान किये हैं जिसे आदिवासी समुदाय को जानना जरूरी है। उन्होंने युवाओं से कहा कि अपनी संस्कृति,अपनी मूल पहचान को बनाए रखने के लिए काम करें। सर्व आदिवासी समाज के ब्लाक अध्यक्ष जगतराम दुग्गा ने कहा कि 21 वीं सदी में भी विश्व का आदिवासी समुदाय पिछड़ा हुआ है। जबकि आदिवासी अंचलों में ही देश का प्राकृतिक एवं खनिज संपदा मौजूद हैं, भारत के संविधान में आदिवासियों के लिए बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं। आदिवासियों के लिए 5 वीं व 6 वीं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण की व्यवस्था उनके अनुसार किया गया है बावजूद आज भी आदिवासी समुदाय विकास के मानकों में पिछडा नजर आता है। जल,जंगल, जमीन और खनिज संरक्षण की लडाई के साथ अपने परंपरा और आदिवासी अस्तित्व के लिए संघर्षरत है। भारत राष्ट्र के उत्थान और समग्र विकास की कल्पना आदिवासियों की सहभागिता के बगैर संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ में 32% प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या है, 60% क्षेत्रफल 5 वीं अनुसूची में आता है,जहाँ पर लोहा,कोयला,टीन,बाक्साइट जैसे अनेकों खनिज भंडार हैं,वनोपज भी पर्याप्त है,फिर भी आदिवासी उपेक्षित है। सन् 2000 में नया राज्य गठन के बा

द से आदिवासी समुदाय अपने संवैधानिक अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है। अपने अधिकार और प्रताडना के निराकरण के लिए शासन-प्रशासन को लगातार आवेदन-निवेदन, धरना-प्रदर्शन, घेराव उपरांत भी अभी तक उचित निराकरण नहीं हो सका है। पेसा कानून, 32% आरक्षण, 5वीं अनुसूचित क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण,विस्थापन,नक्सल समस्या,पुलिस अत्याचार,जल,जंगल व जमीन के लिए अधिकार और संरक्षण के लिए आदिवासी समुदाय आज भी संघर्ष कर रहा है। सरकारें आदिवासियों की जमीन से बिना अनुमति के खनन कर उनके संवैधानिक हितों का खात्मा कर रही हैं, आदिवासी समुदाय यह कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।

आदिवासियों ने सुरूंगदोह में रैली के बाद उप तहसील कार्यालय कोडेकुर्से पहुँचकर अपनी विभिन्न माँगों को लेकर राज्यपाल,मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव छत्तीसगढ शासन के नाम ज्ञापन सौंपा।
   कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भानुप्रतापपुर विधायक सावित्री मनोज मंडावी ने दुर्गूंकोंदल स्थित गोंडवाना समाज भवन में 5-5 लाख की लागत से बनने वाले बाऊन्ड्रीवाल व काम्पलेक्स निर्माण हेतु भूमिपूजन किया। वहीं दुर्गूकोंदल में जर्जर गोंडवाना भवन के मरम्मत के लिए 3 लाख रूपये और ग्राम सुरूंगदोह में 6.50 लाख की लागत से सामुदायिक भवन निर्माण कराने की घोषणा की।सर्व आदिवासी समाज ब्लाक अध्यक्ष जगतराम दुग्गा, गोंड़ समाज ब्लाक अध्यक्ष झाड़ूराम उयका, युवा प्रभाग ब्लाक अध्यक्ष कुबेर दर्रो, महत्तम दुग्गा, रामचंद्र कल्लो, रमेश दुग्गा, नेमालाल कोमरा, बाबूलाल कोला, उदय पुरामें, नामदेव मरकाम, फत्तेसिंग मरकाम, बाबूलाल कोमरा, बैजनाथ नरेटी, शकुंतला नरेटी, हेमलता नरेटी, सुमित्रा दुग्गा, देवेन्द्र टेकाम, नागसाय तुलावी, संतो दुग्गा, धनीराम ध्रुव, शोपसिंग आचला, ओम दुग्गा, ढालसिंग पात्र, कलिता आचला, टिकेश नरेटी, अमिता उयके, मुक्तेश्वरी नरेटी, राजू विकास नायक ओम दुग्गा,मुकेश बघेल, पिछड़ा वर्ग समाज अध्यक्ष विजय पटेल, अशोक जैन, युवराज पटेल, दयालू यादव, मेहतरू यादव, किशोर सिन्हा, रामलाल जैन, नारायण पटेल, देवेन्द्र पटेल, रघुनंदन गोस्वामी, सरपंच कराकी शामबत्ती कोवाची, तुलसी मातलाम सहित बड़ी संख्या में सर्व आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।