पुलिस आरक्षक भरेगा 30 हजार हर्जाना,5 हजार दिया नगद, बाकी अगली सुनवाई में देगा

पुलिस आरक्षक भरेगा 30 हजार हर्जाना,5 हजार दिया नगद, बाकी अगली सुनवाई में देगा

उत्तर बस्तर कांकेर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज कांकेर विश्राम गृह के सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 269वीं सुनवाई हुई एवं कांकेर जिला स्तर में चौथी सुनवाई थी। 
 
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके हिस्से की पुश्तैनी कच्चा मकान को अनावेदक ने अपना पक्का मकान बनाते समय क्षतिग्रस्त किया तथा उनके घर के दीवार से अपना मकान जोड़कर बनाने की वजह से आने-जाने के रास्ते को भी बंद कर दिया। अनावेदक पुलिस आरक्षक है और कोयलीबेड़ा थाना में पदस्थ है। आवेदिका का कहना है कि अनावेदक हमेशा पुलिस होने का रौब दिखाकर डराता धमकाता था। मोबाइल में दिखाए गए फोटो के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि अनावेदक ने आवेदिका के मकान को क्षतिग्रस्त किया है और आने-जाने के रास्ते को भी बंद कर दिया है। आयोग ने अनावेदक से आवेदिका को 30 हजार रुपए हर्जाना देने को कहा, जिस पर अनावेदक ने सहमति जताई। आज आयोग के कहने पर अनावेदक ने आवेदक को पांच हजार रूपए नगद दिया। बाकी पैसों में से 10 हजार रुपए नगद एवं चेकबुक लेकर आगामी सुनवाई 4 सितंबर को रायपुर मुख्यालय में उपस्थित होगा। 
 
एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष उपस्थित थे। आवेदिका ने बताया कि इस प्रकरण में दोनो पक्षों के बीच न्यायालय में भी प्रकरण चल रहा था और आपस में सुलह नामा किया गया। अतः आवेदिका ने अपना प्रकरण वापस लेना चाहती थी, इसलिए प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। 

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक उसका सगा भतीजा है और दोनों के संयुक्त खाते में ग्राम रानीडोंगरी में लगभग 30 एकड़ जमीन है। उस जमीन का खाता विभाजन अनावेदक करने नहीं दे रहा है और यूनियन बैंक कांकेर से नौ लाख 10 हजार रुपए जमीन के एवज में लोन निकाला है, जिसका दस्तावेज आज सुनवाई के दौरान अनावेदक ने स्वयं प्रस्तुत किया। दस्तावेज के पेज क्रमांक 2 में दो फोटो लगा हुआ है, जिसमें एक फोटो अनावेदक ने अपना स्वीकार किया तथा दूसरी फोटो वह बैंक में बैठे किसी दूसरी महिला का है स्वीकार किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि अनावेदक ने बैंक से लोन लेने के दौरान आवेदिका के नाम का इस्तेमाल किया था, परन्तु किसी और महिला का फोटो लगाकर बैंक मैनेजर के साथ साठगांठ कर फर्जीवाड़े तरीके से लोन निकाला था और यह बात उसने आयोग के सुनवाई के दौरान कबूल किया। आवेदिका ने भी फोटो को अपना बताने से इनकार किया। आवेदिका के बेटे ने बताया कि बैंक के मैनेजर के साथ मिलकर लोन लेने के लिए फर्जीवाड़ा किया गया था। अनावेदक ने यह भी बताया कि वह बैंक मैंनेजर वर्तमान में बिलासपुर यूनियन बैंक में मैनेजर के पोस्ट पर कार्यरत है। इस प्रकरण में दोनों बैंक मैनेजर को पक्षकार बनाया गया। कांकेर यूनियन बैंक के मैनेजर को संबंधित मूल फाइल एवं समस्त दस्तावेज लेकर 04 सितंबर 2024 को रायपुर मुख्यालय में सुनवाई हेतु पुलिस अधीक्षक के माध्यम से उपस्थित कराया जाएगा तथा तत्कालीन मैनेजर कांकेर को भी सुनवाई दौरान उपस्थित कराया जाएगा। तत्पश्चात प्रकरण में आगे की कार्यवाही किया जा सकेगा। 

अन्य प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक एक ही स्कूल में कार्यरत थे। आवेदिका व्याख्याता और अनावेदक प्रभारी प्राचार्य के रूप में पदस्थ थे। आवेदिका की शिकायत के बाद बिना किसी नोटिस के आवेदिका को महज चार-पांच दिन में ही अन्य स्कूल में स्थानांतरण कर दिया गया। उसके बाद अब तक आवेदिका के प्रकरण में कोई भी जांच नहीं किया गया। अनावेदक का कथन है कि इस प्रकरण में विभागीय जांच किया गया है। ऐसे में दोनो पक्षों को अपने-अपने विस्तृत दस्तावेज लेकर आगामी सुनवाई रायपुर में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। 

अन्य प्रकरण में आवेदिकागण आज भारत बंद के कारण सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके, इस बात की फोन पर सूचित किया गया। इस प्रकरण में पूर्व में जांच का आदेश दिया गया था, जिसका जांच प्रतिवेदन प्राप्त हो चुका है। जिसके अनुसार अनावेदक का स्थानांतरण भानुप्रतापपुर महिला एवं बाल विकास विभाग में दिनांक 16 मई 2023 को कर दिया गया था, इस प्रकरण में सभी आवेदिकागणों ने अनावेदक को पखांजूर कार्यालय से हटाने की शिकायत थी और आयोग के आदेश पर अनावेदक का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया गया है। अतः इस प्रकरण को आयोग ने नस्तीबद्ध किया।