बीजापुर में साथी सीआरपीएफ जवानों की हत्या के लिए दोषी सिपाही को चार आजीवन कारावास की सजा
बीजापुर /नक्सल मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शांतनु कुमार देशलहरे ने कल एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बीजापुर जिले के बासागुड़ा कैंप में अपने साथी जवानों की हत्या के लिए सीआरपीएफ जवान संत कुमार को चार आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों सजाएं एक साथ पूरी होंगी।
9 दिसंबर, 2017 को शाम करीब 5 बजे हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, जब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 168वीं बटालियन के सिपाही संत कुमार ने अपने साथियों पर गोलियां चला दीं, जिसमें चार जवान मारे गए और एक घायल हो गया। मारे गए जवानों की पहचान एसआई विक्की शर्मा, एसआई मेघ सिंह, एएसआई राजवीर सिंह और सिपाही शंकर राव गांडा के रूप में हुई है। हमले में एक अन्य जवान गजानंद घायल हो गया। यह त्रासदी बीजापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ की एक प्रमुख चौकी बासागुड़ा कैंप में हुई।
घटना के बाद, संत कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में पता चला कि उसका सहायक उपनिरीक्षक गजानंद के साथ विवाद हुआ था, जो घातक गोलीबारी में बदल गया।
चार आजीवन कारावास की सजा के अलावा, संत कुमार पर प्रत्येक आजीवन कारावास के लिए 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत 10 साल की कैद और 500 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना, आईपीसी की धारा 307 के तहत 2 साल की कैद और 500 रुपये का जुर्माना और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत 3 साल की कैद और 500 रुपये का जुर्माना लगाया। इन जुर्माने का भुगतान न करने पर अतिरिक्त कारावास की सजा होगी।
यह फैसला एक दुखद घटना का अंत करता है, जिसमें सीआरपीएफ के चार बहादुर जवानों की जान चली गई थी, जो सशस्त्र बलों के भीतर अनुशासन और व्यवस्था के महत्व को उजागर करता है।