केरल: मां ने नाबालिग बेटी को प्रेमी से रेप करवाया, कोर्ट ने सुनाई 180 साल की सजा

POCSO court

केरल: मां ने नाबालिग बेटी को प्रेमी से रेप करवाया, कोर्ट ने सुनाई 180 साल की सजा

तिरुवनंतपुरम। केरल की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने एक महिला और उसके पुरुष साथी को नाबालिग बेटी के साथ यौन शोषण के जघन्य अपराध के लिए 180 साल की सख्त कैद और 11.7 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों को पॉक्सो एक्ट, भारतीय दंड संहिता (IPC) तथा किशोर न्याय अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया। यह मामला राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम से जुड़ा है, जहां एक मां ने अपनी ही 12 वर्षीय बेटी को अश्लील वीडियो दिखाने और प्रेमी से बार-बार दुष्कर्म करवाने का अपराध किया।

मामले की शुरुआत तब हुई जब महिला अपने पहले पति और बेटी के साथ तिरुवनंतपुरम में रह रही थी। फोन पर बातचीत के दौरान उसकी आरोपी पुरुष से मुलाकात हुई, जो धीरे-धीरे प्रेम संबंधों में बदल गई। महिला ने पति को छोड़कर आरोपी के साथ भाग जाना चुना और दोनों पलक्कड़ व मलप्पुरम में साथ रहने लगे। इस दौरान नाबालिग बेटी भी उनके साथ थी, जो इस नर्क जैसी जिंदगी की शिकार बनी।

विशेष लोक अभियोजक सोमसुंदरन ए. ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2019 से नवंबर 2020 तक आरोपी ने बच्ची का कई बार यौन शोषण किया, जो दिसंबर 2020 से अक्टूबर 2021 तक भी जारी रहा। महिला ने न केवल अपराध को बढ़ावा दिया, बल्कि बेटी को प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया और खुद इसे देखने को विवश किया। इससे बच्ची मानसिक व भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थी। अदालत ने महिला को अपराध प्रोत्साहन, बच्ची पर दबाव डालने और घटना को छिपाने के प्रयास के लिए दोषी पाया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, महिला ने बेटी को अश्लील वीडियो दिखाए, उसे बीयर पिलाई और धमकी दी कि उसके दिमाग में सीसीटीवी कैमरा लगा है, जिससे कोई बात छिपी नहीं रह सकती।

मामला कैसे खुला?
यह भयावह सच्चाई तब सामने आई जब महिला मलप्पुरम थाने पहुंची और अपने माता-पिता पर आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज न देने का आरोप लगाया। पुलिस ने माता-पिता को दस्तावेज सौंपने के निर्देश दिए। जब वे महिला के घर पहुंचे, तो पोती से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन महिला ने साफ इंकार कर दिया। पड़ोसियों ने खुलासा किया कि बच्ची की हालत नाजुक है और उसे ठीक से खाना भी नहीं मिल रहा। इसके बाद परिजनों ने चाइल्डलाइन से संपर्क किया। बच्ची को स्नेहिता सेंटर भेजा गया, जहां उसने पूरे काले सच का पर्दाफाश कर दिया।

यह सजा न केवल अपराधियों को चेतावनी है, बल्कि बच्चों के प्रति समाज की जिम्मेदारी को भी रेखांकित करती है। पुलिस ने मामले की जांच के दौरान सभी सबूतों को मजबूती से पेश किया, जिससे अदालत ने कड़ी कार्रवाई की।