सत्तारूढ़ दल के पांच विधायक रहे सक्रिय, पांच पूरी तरह मौन, विधानसभा बजट सत्र का समापन

सत्तारूढ़ दल के पांच विधायक रहे सक्रिय, पांच पूरी तरह मौन, विधानसभा बजट सत्र का समापन

रायपुर (चैनल इंडिया)। विधानसभा का बजट सत्र काफी चर्चित रहा, जहां विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी सरकार से तीखे सवाल किए। 17 दिनों तक चले इस सत्र में नए विधायकों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और जमकर सवाल पूछे। एक विधायक अधिकतम 64 सवाल पूछ सकता है, और इस बार 15 विधायकों ने अपने कोटे के पूरे 64 सवाल किए। इनमें 10 विधायक कांग्रेस से और 5 भाजपा से रहे। हालांकि, छह ऐसे विधायक भी थे जिन्होंने पूरे सत्र के दौरान एक भी सवाल नहीं पूछा, जिनमें से पांच भाजपा के थे।
 इस सत्र में कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र और राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सदन में उठाया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि छह विधायक सदन में मौजूद होने के बावजूद एक भी सवाल नहीं पूछ सके। इनमें भाजपा के रेणुका सिंह, राजेश अग्रवाल, अमर अग्रवाल और योगेश्वर राज सिन्हा शामिल हैं। भाजपा विधायक भैयालाल राजवाड़े ने पूरे सत्र के दौरान सिर्फ एक सवाल लगाया, जबकि विक्रम उसेंडी ने तीन और लता उसेंडी ने चार सवाल पूछे। प्रश्नकाल के दौरान 90 में से 79 विधायक ही अपने सवाल पूछ सके, जबकि विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और नौ मंत्री सवाल नहीं पूछ सकते थे। 17 दिनों के इस सत्र में 16 दिनों तक प्रश्नकाल चला, जिसमें कुल 2,504 सवाल विधानसभा सचिवालय द्वारा स्वीकृत किए गए।

कुछ विधायकों ने सत्र के दौरान 50 या उससे अधिक सवाल पूछे, जिनमें अधिकतर नए विधायक थे। भाजपा से सुशांत शुक्ला, संपत अग्रवाल और अनूज शर्मा सक्रिय रहे, जबकि कांग्रेस से चातुरी नंद, ओंकार साहू, संगीता सिन्हा, अनिला भेडिय़ा और कुंवर सिंह निषाद ने विधानसभा में अपने क्षेत्र के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।

रोजाना सवाल पूछने वाले 18 विधायक
पूरे 16 दिन तक कांग्रेस के 12 और भाजपा के छह विधायकों ने नियमित रूप से सवाल पूछे। इनमें कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उमेश पटेल, विक्रम मंडावी, भोलाराम साहू, दलेश्वर साहू, दलीप लहरिया, राघवेंद्र सिंह, इंद्रसाव, बालेश्वर साहू, अरबिका मरकाम, हर्षिता स्वामी बघेल, शेषराज हरबंश और लखेश्वर बघेल का नाम शामिल है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है, लेकिन पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक अजय चंद्राकर और राजेश मूणत की आक्रामकता चर्चा का विषय रही। अजय चंद्राकर ने कई मुद्दों पर अपनी ही सरकार के मंत्रियों को घेरा, जबकि राजेश मूणत भी मुखर रहे।